"ज्ञानवापी और मथुरा विवाद शांति से सुलझ जाए तो हिंदू दूसरी बातों को भूल जाएंगे", अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 5, 2024 10:17 AM2024-02-05T10:17:28+5:302024-02-05T10:21:57+5:30
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि अगर ज्ञानवापी मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि विवाद को शांतिपूर्वक हल कर लिया जाए तो हिंदू समुदाय अन्य दूसरे विवादों को भूल जाएगा।
!["If Gyanvapi and Mathura disputes are resolved peacefully, Hindus will forget other things", said Govind Dev Giri, treasurer of Ayodhya Ram Mandir Trust | "ज्ञानवापी और मथुरा विवाद शांति से सुलझ जाए तो हिंदू दूसरी बातों को भूल जाएंगे", अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने कहा "If Gyanvapi and Mathura disputes are resolved peacefully, Hindus will forget other things", said Govind Dev Giri, treasurer of Ayodhya Ram Mandir Trust | "ज्ञानवापी और मथुरा विवाद शांति से सुलझ जाए तो हिंदू दूसरी बातों को भूल जाएंगे", अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने कहा](https://d3pc1xvrcw35tl.cloudfront.net/sm/images/420x315/ramayo_202402285220.jpg)
फाइल फोटो
पुणे: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि अगर ज्ञानवापी मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि विवाद को शांतिपूर्वक हल कर लिया जाए तो हिंदू समुदाय अन्य दूसरे विवादों को भूल जाएगा।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार देव गिरी महाराज ने कहा, "अगर ये दोनों मंदिर विवाद से मुक्त हो जाएंगे तो हमें दूसरे मंदिरों की ओर देखने की इच्छा नहीं है क्योंकि हमें भविष्य में रहना है, अतीत में नहीं। देश का भविष्य अच्छा होना चाहिए और अगर ज्ञानवापी मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि का स्थान हमें शांति से मिल जाएं तो अच्छा होगा।"
उन्होंने मुस्लिम पक्ष से ज्ञानवापी और मथुरा विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की अपील करते हुए कहा, "मैं हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि को विवाद मुक्त कराया जाए क्योंकि ये आक्रमणकारियों द्वारा किए गए हमलों के सबसे बड़े निशान हैं। लोग दर्द में हैं, अगर मुस्लिम पक्ष इस दर्द को शांति से ठीक कर सकते हैं तो यह होगा। इससे भाईचारा बढ़ाने में मदद मिलेगी।"
गोविंद देव गिरि महाराज का यह बयान इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा वाराणसी कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रार्थना करने की अनुमति दी गई थी।
मालूम हो कि अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद की मस्जिद इंतजामिया कमेटी को 17 जनवरी के आदेश को चुनौती देने के लिए अपनी दलीलों में संशोधन करने के लिए 6 फरवरी तक का समय दिया, जिसके परिणामस्वरूप 31 जनवरी का आदेश पारित किया गया था।
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने कहा कि मस्जिद पक्ष को पहले 17 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती देनी चाहिए। इस आदेश के जरिए जिलाधिकारी वाराणसी को रिसीवर नियुक्त किया गया और उसके बाद डीएम ने 23 जनवरी को ज्ञानवापी परिसर का कब्जा ले लिया था।
इसके बाद जिला न्यायालय ने 31 जनवरी के अंतरिम आदेश से काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पुजारी के माध्यम से तहखाने में पूजा कराने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने मस्जिद इंतजामिया कमेटी के वकील एसएफए नकवी से पूछा था कि 17 जनवरी 2024 के मूल आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी गई।
ज्ञानवापी मस्जिद की समिति के वकील ने कोर्ट में कहा, ''31 जनवरी के आदेश के कारण उन्हें तुरंत आना पड़ा। इसके मूल आदेश को चुनौती देंगे क्योंकि आदेश मिलते ही जिला मजिस्ट्रेट ने रात में ही तैयारी कर ली और नौ घंटे के भीतर काम शुरू कर दिया था।''
वहीं हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने अपील की विचारणीयता पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि मूल आदेश को चुनौती नहीं दी गयी है। अधीनस्थ न्यायालय ने वादी को राहत नहीं दी है। इसका अधिकार मंदिर ट्रस्ट को दिया गया है।
इस बीच 31 जनवरी को वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रार्थना करने की अनुमति दे दी। अदालत ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को हिंदू पक्ष और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित पुजारी द्वारा की जाने वाली 'पूजा' के लिए सात दिनों के भीतर व्यवस्था करने का निर्देश दिया।