बाबा बर्फानी तक ग्लोबल वार्मिंग का असर, अमरनाथ में बनने वाला शिवलिंग कई सालों से श्रावण पूर्णिमा से पहले ही पिघल रहा

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 25, 2021 18:21 IST2021-06-25T18:17:31+5:302021-06-25T18:21:42+5:30

ग्लोबल वार्मिंग के कारण 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में बनने वाले बर्फ के शिवलिंग के इस बार भी जल्द पिघलने की आशंका है।

Ice shivling at amarnath cave melts from global warming | बाबा बर्फानी तक ग्लोबल वार्मिंग का असर, अमरनाथ में बनने वाला शिवलिंग कई सालों से श्रावण पूर्णिमा से पहले ही पिघल रहा

फाइल फोटो

Highlightsग्लोबल वार्मिंग का असर अमरनाथ में बनने वाले बर्फ के शिवलिंग पर भी देखा जा रहा है। कई सालों से श्रावण पूर्णिमा से पहले ही अमरनाथ में बनने वाला बर्फ का शिवलिंग पिघल रहा है। बर्फ के शिवलिंग की लंबाई अब सिर्फ 10 से 12 फुट रह गई है और यह जल्द पिघल जाएगा। 

जम्मू: ग्लोबल वार्मिंग के कारण 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में बनने वाले बर्फ के शिवलिंग के इस बार भी जल्द पिघलने की आशंका है। कई सालों से ऐसा देखने को मिला है कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के साथ ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ का शिवलिंग समय से पहले लुप्त हो रहा है।इस बार कोरोना के चलते यात्रा रद्द कर दी गई है, लेकिन परंपराओं को प्रतीकात्मक तौर पर पूरा किया जा रहा है।

श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, करीब एक माह पहले यह शिवलिंग अपने पूरे आकार में था और करीब 20 से 22 फुट का था। हालांकि अब इसकी ऊंचाई 11 से 12 फुट के बीच रह गई है। उनके मुताबिक, यह अब तेजी से पिघल रहा है। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब हिमलिंग तेजी से पिघल रहा हो। पिछले कई सालों से यह देखने को मिल रहा है। यात्रा के आरंभ होने के कुछ ही दिनों के उपरांत पूरी तरह से पिघल जाता रहा है। हालांकि तब इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग के साथ उन लाखों भक्तों की सांसें भी जिम्मेदार होती थीं जो दर्शनार्थ गुफा तक पहुंचते थे।

10 दिन में डेढ फीट का रह गया

विशेषज्ञों के मुताबिक अमरनाथ ग्लेशियरों से घिरा है। ऐसे में अक्सर वहां ज्यादा लोगों के पहुंचने से तापमान के बढ़ने की आशंका बनी रहती है, जिससे ग्लेशियर जल्दी पिघलते हैं। साल 2016 में भी भक्तों की ज्यादा भीड़ के अमरनाथ पहुंचने से हिमलिंग तेजी से पिघल गया था। आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष यात्रा के महज 10 दिन में ही हिमलिंग पिघलकर डेढ़ फीट का रह गया था। तब तक महज 40 हजार भक्तों ने ही दर्शन किए थे। 

यात्रा पूरी होने से पहले ही पिघला 

साल 2016 में प्राकृतिक बर्फ से बनने वाला हिमलिंग 10 फीट का था। जो अमरनाथ यात्रा के शुरूआती सप्ताह में ही आधे से ज्यादा पिघल गया था। ऐसे में यात्रा के शेष 15 दिनों में दर्शन करने वाले श्रद्धालु हिमलिंग के साक्षात दर्शन नहीं कर सके थे। साल 2013 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान हिमलिंग की ऊंचाई कम थी। उस वर्ष हिमलिंग महज 14 फुट का था। लगातार बढ़ते तापमान के चलते अमरनाथ यात्रा के पूरे होने से पहले ही हिमलिंग पिघल गया था। 

2018 में 2.30 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2013 में हिमलिंग के तेजी से पिघलने का कारण तापमान में वृद्धि था। उस वक्त पारा 34 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था। 2018 में भी बाबा बर्फानी के तेजी से पिघलने का सिलसिला जारी रहा था। 28 जून से शुरू हुई 60 दिवसीय इस यात्रा में एक महीने बीतने पर करीब दो लाख 30 हजार यात्रियों ने दर्शन किए थे। मगर इसके बाद दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का बाबा बर्फानी के साक्षात दर्शन नहीं हुए। बाबा दर्शन देने से पहले ही अंतरध्यान हो गए थे। पर इस बार भक्त तो नदारद हैं, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग का असर जरूर दिख रहा है। 

Web Title: Ice shivling at amarnath cave melts from global warming

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे