हरियाणा के सीनियर अधिकारी अशोक खेमका का एक और तबादला हुआ है। हालांकि सीनियर आईएएस अधिकारी का तबादला 8 माह के बाद हुआ है। यह उनकी 53वीं तबादला है।
आईएएस अधिकारी के तौर पर अपने करियर में 53 बार तबादला किये गये अशोक खेमका ने अपनी नयी तैनाती पर बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि ‘ईमानदारी का ईनाम जलालत है।’ हरियाणा सरकार ने बुधवार को खेमका सहित 14 आईएएस अधिकारियों का तबादला आदेश जारी किया।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1991 बैच के अधिकारी ने ट्वीट किया, ‘‘फिर तबादला। लौट कर फिर वहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कल संविधान दिवस मनाया गया। आज उच्चतम न्यायालय के आदेश एवं नियमों को एक बार और तोड़ा गया। कुछ प्रसन्न होंगे। अंतिम ठिकाने जो लगा।’’
उन्होंने कहा,‘‘ईमानदारी का ईनाम जलालत।’’ एक आधिकारिक बयान के मुताबिक खेमका हरियाणा के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में मार्च में प्रधान सचिव के पद पर नियुक्त किये गये थे। उनका अगला कार्यभार प्रधान सचिव, अभिलेख, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग है।
भाजपा-जननायक जनता पार्टी सरकार के करीब एक महीने पहले सत्ता में आने के बाद से यह पहला बड़ा प्रशासनिक फेरबदल है। तबादले तत्काल प्रभाव से प्रभावी हो जाएंगे। खेमका 2012 में चर्चा में आये थे, जब उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा से संबद्ध स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच हुए भूमि सौदे के दाखिल खारिज को रद्द कर दिया था।
ट्वीट कर कहा कि फिर तबादला। लौट कर फिर वहीं। कल संविधान दिवस मनाया गया। आज सर्वोच्च न्यायालय के आदेश एवं नियमों को एक बार और तोड़ा गया। कुछ प्रसन्न होंगे। अंतिम ठिकाने जो लगा। ईमानदारी का इनाम जलालत।
तबादले से पहले आईएएस खेमका ने महाराष्ट्र की राजनीतिक घटनाक्रम पर ट्वीट किया था। अशोक खेमका ने तंज कसते हुए कहा था कि विधायकों की खरीद फरोख्त, उन्हें बंधक बनाना सभी जनसेवा के लिए की जाती है। जनसेवा जैसा सुअवसर छोड़ा नहीं जाता, वंचित रहने से हृदय में पीड़ा जो होती है। होने दो, खूब द्वंद होने दो। साझेदारी में तो मिल-बाँट कर जनसेवा की जाएगी।
उन्हें अभिलेखागार, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महाराष्ट्र को लेकर किया गया ट्वीट उनके ट्रांसफर की वजह बना। ट्रांसफर के बाद उन्होंने ट्वीट किया कि फिर तबादला।
महाराष्ट्र में चारों पार्टियां लोगों की सेवा का मौका चाह रही। इतना पैसा लगाया इसी मौके के लिए। जब इतनी प्रतिद्वंदिता जनसेवा का अवसर प्राप्त करने के लिए हो, तो देश की तरक्की भला क्यों न हो।