अपने लोगों के अधिकार बहाल होने तक नहीं मरूंगा : फारूक अब्दुल्ला
By भाषा | Updated: November 6, 2020 22:58 IST2020-11-06T22:58:04+5:302020-11-06T22:58:04+5:30

अपने लोगों के अधिकार बहाल होने तक नहीं मरूंगा : फारूक अब्दुल्ला
जम्मू, छह नवंबर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के एक साल से भी ज्यादा समय बाद जम्मू में अपनी पहली राजनीतिक रैली में भावुक होकर पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि पूर्ववर्ती राज्य के लोगों का संवैधानिक अधिकार बहाल होने तक वह नहीं मरेंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने भाजपा को उनके सवालों का जवाब देने की चुनौती दी और भगवा दल पर ‘‘देश को गुमराह करने’’ और जम्मू कश्मीर के साथ साथ लद्दाख के लोगों से ‘‘झूठे वादे’’ करने के आरोप लगाए।
गुपकर गठबंधन घोषणापत्र (पीएजीडी) की शनिवार को होने वाली बैठक के पहले शेर-ए-कश्मीर भवन में नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकर्ताओं से अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘अपने लोगों के अधिकार वापस लेने तक मैं नहीं मरूंगा ...मैं यहां लोगों का काम करने के लिए हूं, और जिस दिन मेरा काम खत्म हो जाएगा, मैं इस जहां से चला जाऊंगा।’’
अब्दुल्ला ने कहा, '' हम अपने अधिकारों और पहचान के लिए लड़ेंगे और पीछे नहीं हटेंगे।'' साथ ही उन्होंने पूछा, '' हमारी गलती क्या थी।''
जम्मू-कश्मीर की भाजपा इकाई पर निशाना साधते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि उनका पुतला फूंकने वालों को याद रखना चाहिए कि, ''वह फारूक अब्दुल्ला ही थे जिन्होंने जिनेवा में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भारत को प्रस्तुत किया था और विरोधियों को चुप करा दिया था।''
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी पार्टी धर्म और प्रांत के आधार पर कभी निर्णय नहीं लेती।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, '' मैं भाजपा से नहीं डरता। मैंने कोई लाठी या पत्थर नहीं ले रखे हैं। उन्हें मेरे सामने आने दीजिए और मेरे सवालों का जवाब देने दीजिए, जो कि वे नहीं करेंगे।''
अपने बेटे एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ दोपहर में जम्मू पहुंचे अब्दुल्ला ने भाजपा पर अपने एजेंडा को ''देश का एजेंडा'' करार दिए जाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, '' देश पार्टी से बड़ा है और ऐसा नहीं सोचें कि भारत अकेले आपका है।''
अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद से जम्मू में अब्दुल्ला (84) की यह पहली राजनीतिक बैठक थी।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमने कभी नहीं सोचा था कि जम्मू, लद्दाख और कश्मीर को एक दूसरे से अलग कर दिया जाएगा। हालात के कारण हम पीएजीडी के गठन के समय इन क्षेत्रों के लोगों को शामिल नहीं कर पाए और अब यहां आए हैं । ’’
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370, अनुच्छेद 35 ए को फिर से बहाल करने तथा ‘‘काले कानूनों’’ को समाप्त करने के लिए दलों ने हाथ मिलाए हैं।
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