भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने हैदराबाद में रहने वाले 127 लोगों को मई 2020 तक एक जांच अधिकारी के सामने पेश होने और मूल दस्तावेजों को जमा करने का समय दिया है ताकि साबित हो सके कि उन्होंने झूठे दस्तावेज दिखाकर आधार प्राप्त नहीं किया। मंगरवार की देर शाम जारी एक बयान के मुताबिक, इस अभ्यास का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, 15 फरवरी को एक ऑटो चालक को यूआईडीएआई की ओर से एक नोटिस मिला था, जिसमें कहा गया कि उसके खिलाफ शिकायत मिली है कि वह भारतीय नागरिक नहीं है।
यूआईडीएआई के क्षेत्रीय कार्यालय ने उप निदेशक/जांच अधिकारी अमिता बिंद्रो के हस्ताक्षर वाले 3 फरवरी के नोटिस में लिखा गया था कि ऑटो चालक के खिलाफ शिकायत की सत्यता का पता लगाने के लिए एक जांच का आदेश दिया गया है। नोटिस में कहा गया था कि कार्यालय को एक शिकायत मिली है कि आप भारतीय नागरिक नहीं हैं और आपने झूठे दावों और झूठे दस्तावेज जमा कर धोखेबाजी से आधार आधार प्राप्त किया है।
आधार प्राधिकरण ने हाल की खबरों का हवाला देते हुए कहा कि उसे राज्य पुलिस से ऐसी शिकायतें मिलीं, जिनमें उन लोगों के अवैध अप्रवासी होने का संदेह है।
हैदराबाद के रीजनल ऑफिस को राज्य की पुलिस से ऐसी रिपोर्ट में मिली, जिसके मुताबिक, 127 लोगों नें प्रारंभिक जांच के दौरान झूठे बहाने बनाकर आधार प्राप्त किया है, उन्हें अवैध अप्रवासी पाया गया है जोकि आधार संख्या प्राप्त करने के लिए योग्य नहीं थे। आधार अधिनियम के अनुसार, ऐसे आधार नंबर रद्द किए जाने चाहिए। इसलिए, हैदराबाद के रीजनल ऑफिस ने उन लोगों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और आधार नंबर प्राप्त करने के लिए उनके दावों को प्रमाणित करने के लिए नोटिस भेजा है।
रीजनल ऑफिस ने यह स्पष्ट किया कि इस सबका नागरिकता मुद्दे से कुछ भी लेना-देना नहीं है। ऑफिस की तरफ से कहा गया कि आधार नागरिकता का दस्तावेज नहीं है और आधार के लिए आवेदन करने से पहले 182 दिनों के लिए भारत में किसी व्यक्ति के निवास का पता लगाने के लिए आधार अधिनियम के तहत यूआईडीएआई को अनिवार्य किया गया है।
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा है कि यूआईडेएआई अवैध अप्रवासियों को आधार जारी न करेगा।
यूआईडीएआई के ट्वीट के कुछ घंटे बाद, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आधार निकाय ने "अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है", और "उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया"। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और कहा कि यूआईडेएआई के पास नागरिकता की पुष्टि करने की कोई शक्ति नहीं है।