मानवाधिकार दिवस: एनएचआरसी प्रमुख ने कहा- 'आतंकवादियों से सहानुभूति रखना मानवाधिकारों के प्रति बड़ा अन्याय'
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 10, 2023 12:48 PM2023-12-10T12:48:41+5:302023-12-10T12:50:34+5:30
एनएचआरसी प्रमुख ने कहा, "आतंकवाद पूरे विश्व में नागरिकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करता है। यह देखा गया है कि निर्दोष लोग इससे पीड़ित होते हैं। आतंकवादी कृत्यों और आतंकवादियों की अनदेखी करना या उनसे सहानुभूति रखना मानवाधिकारों के प्रति बड़ा अन्याय है।"
नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने रविवार को कहा कि आतंकवाद पूरे विश्व में नागरिकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करता है और आतंकवादी कृत्यों एवं आतंकवादियों की अनदेखी करना या उनसे सहानुभूति रखना मानवाधिकारों के प्रति बड़ा अन्याय है।
‘भारत मंडपम’ में मानवाधिकार दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति मिश्रा ने यह भी कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकियों का नैतिक प्रभाव गंभीर चिंता का विषय है। इस अवसर पर मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 75वीं वर्षगांठ भी मनायी गयी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि रहे। समारोह में कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए। भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजीडेंट संयोजक शोम्बी शार्प भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में ऐसे आदर्श शामिल हैं जो हमारे मूल्यों के अनुरूप हैं। असमानता में नाटकीय वृद्धि और जलवायु, जैवविविधता तथा प्रदूषण के तिगुने संकट पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।" उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकियों की चुनौतियां समकालीन समाज के ताने-बाने में बुनती हैं।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "नयी डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने लोगों के रहने के तरीके को बदल दिया है और सभी सतत लक्ष्यों की प्रगति में मदद की है। इंटरनेट उपयोगी है लेकिन उसका स्याह पक्ष भी है, वह घृणा फैलाने वाली सामग्री के जरिए निजता का उल्लंघन कर रहा है, भ्रामक सूचना से लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर हो रही है।"
उन्होंने ऑनलाइन क्षेत्र में महिलाओं तथा बच्चों के खिलाफ हिंसा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "अगर इंटरनेट का दुर्भावनापूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाता है तो यह समुदायों के भीतर और उनके बीच विभाजन पैदा कर सकता है और मानवाधिकारों को कमजोर कर सकता है।"
एनएचआरसी प्रमुख ने कहा, "आतंकवाद पूरे विश्व में नागरिकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करता है। यह देखा गया है कि निर्दोष लोग इससे पीड़ित होते हैं। आतंकवादी कृत्यों और आतंकवादियों की अनदेखी करना या उनसे सहानुभूति रखना मानवाधिकारों के प्रति बड़ा अन्याय है। हमें उनका (आतंकवादी कृत्यों का) महिमामंडन नहीं करना चाहिए या उनसे (आतंकवादियों से) सहानुभूति नहीं रखनी चाहिए।" उन्होंने अपने भाषण में यह भी कहा कि महिलाओं और बच्चों को सतत विकास के केंद्र में रखा जाना चाहिए।