पैसे जमा नहीं करने पर प्राइवेट अस्पताल ने शव देने से किया मना, मानव अधिकार आयोग ने मांगा जबाव

By शिवअनुराग पटैरया | Published: July 24, 2020 06:28 PM2020-07-24T18:28:29+5:302020-07-24T18:28:29+5:30

इलाज के दौरान मंगलवार की दोपहर वृद्वा की मौत हो गई, लेकिन अस्पताल ने इसलिए शव देने से इंकार कर दिया, क्योंकि परिजन शुल्क जमा नहीं कर पाए।

human rights commission notice to Chief Medical and Health Office in private hospital not given dead body to relatives | पैसे जमा नहीं करने पर प्राइवेट अस्पताल ने शव देने से किया मना, मानव अधिकार आयोग ने मांगा जबाव

पैसे जमा नहीं करने पर प्राइवेट अस्पताल ने शव देने से मना कर दिया था। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsसे जमा न करने पर शव को रोके जाने पर मानव अधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इंदौर से जबाव मांगा है।आयोग के अनुसार इंदौर जिला प्रशासन द्वारा रुपये के अभाव में किसी भी मृतक के शव को अस्पताल में न रोका जाए।

भोपाल। अस्पताल द्वारा मांगे गए पैसे जमा न करने पर शव को रोके जाने पर मानव अधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इंदौर से जबाव मांगा है। आयोग के अनुसार इंदौर जिला प्रशासन द्वारा रुपये के अभाव में किसी भी मृतक के शव को अस्पताल में न रोका जाए। इस संबंध में निजी अस्पतालों के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए जाने के बावजूद भी यह सिलसिला जारी है।

बीते मंगलवार को एक वृद्वा का शव एक निजी अस्पताल ने इसलिए देने से इंकार कर दिया, क्योंकि परिजन शुल्क जमा नहीं कर पाए। जिला राजगढ़ निवासी शांतिबाई जोशी, जो अपनी बेटी और नवासी मोनिका जोशी के साथ महू में रहती थी, को पिछले दिनों अटैक आया था। उन्हें महू में डॉ. अल्केश जैन को दिखाया, तो उन्होंने हालत गंभीर होने की बात कहते हुए केस को सीएचएल अस्पताल के डॉ. पोरवाल को रैफर किया था। जहां इलाज के दौरान मंगलवार की दोपहर शांतिबाई जोशी की मौत हो गई।

16 जुलाई को हुआ था ऑपरेशन, 1.7 लाख रुपये किए थे जमा

आयोग के अनुसार शांतिबाई की नवासी मोनिका जोशी ने बताया कि 16 जुलाई को डॉ. पोरवाल ने नानी के हार्ट का ऑपरेशन करने के लिए पैकेज के 1.70 लाख रुपये बताए, जो जमा कर दिए। नानी का ऑपरेशन हुआ, लेकिन उन्हें आपरेशन थिएटर से काफी देर तक बाहर नही लाए। जबकि अन्य मरीज बाहर आ गए थे।

उन्होंने बताया कि हम जानकारी लेते रहे, लेकिन उन्होंने स्पष्ट नहीं बताया रात को बताया कि उनकी एक नस कमजोर थी। जिसमें से खून बह रहा, इसलिए उन्हें वेंटीलेटर पर रखना पड़ा। हम लोग लगातार अस्पताल मे नानी से मिलने की कोशिश करते रहे, लेकिन हमें मिलने नहीं दिया।

मोनिका जोशी ने बताया कि बाद हमें बताया गया कि नानी की मौत हो चुकी है। मोनिका ने बताया कि नानी की मौत लापरवाही से हुई है। आयोग के अनुसार मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि एक लाख रुपये जमा करो और शव ले जाओ। मोनिका ने बताया कि हम प्रबंधन के हाथ जोड़ते रहे, लेकिन शव हमें नहीं दिया गया।

Web Title: human rights commission notice to Chief Medical and Health Office in private hospital not given dead body to relatives

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