शारीरिक रूप से कक्षाओं में हिस्सा नहीं लेनेवालों को हाईकोर्ट ने इंजीनियर मानने से किया इनकार, जानें
By अनिल शर्मा | Published: July 21, 2022 12:18 PM2022-07-21T12:18:51+5:302022-07-21T12:51:41+5:30
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा, “एक व्यक्ति जिसने शारीरिक रूप से कक्षाओं/पाठ्यक्रम में भाग नहीं लिया और व्यावहारिक प्रशिक्षण नहीं लिया है, उसे इंजीनियर नहीं कहा जा सकता है।"
चंडीगढ़ः पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने वैसे व्यक्ति को इंजीनियर मानने से इनकार कर दिया है जो शारीरिक रूप से कक्षाओं में मौजूद नहीं रहा हो। हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन (HPHC) के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें एक कर्मचारी को कार्यकारी इंजीनियर के पद पर पदोन्नत किया गया था जिसने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की थी।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा, “एक व्यक्ति जिसने शारीरिक रूप से कक्षाओं/पाठ्यक्रम में भाग नहीं लिया और व्यावहारिक प्रशिक्षण नहीं लिया है, उसे इंजीनियर नहीं कहा जा सकता है।" न्यायमूर्ति अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।
दूरस्थ की रेगुलर मोड की शिक्षा से बराबरी नहींः पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट
पीठ ने आदेश में कहा, "यह स्वीकार करना मुश्किल है कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इंजीनियरिंग की डिग्री, रेगुलर मोड के माध्यम से किए गए पाठ्यक्रम के बराबर होगी। इंजीनियरिंग के अध्ययन में, सैद्धांतिक अवधारणाओं को पढ़ाया जाता है जिन्हें बाद में व्यावहारिक प्रशिक्षण के माध्यम से व्यवहार में लाया जाता है।
जिसने व्यावहारिक प्रशिक्षण नहीं लिया है उसे इंजीनियर नहीं कहा जा सकताः हाईकोर्ट
पीठ ने कहा कि एक व्यक्ति जिसने शारीरिक रूप से कक्षाओं/पाठ्यक्रम में भाग नहीं लिया है और व्यावहारिक प्रशिक्षण नहीं लिया है, उसे इंजीनियर नहीं कहा जा सकता है। यदि हम दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राप्त ऐसी डिग्रियों को स्वीकार करते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब एमबीबीएस पाठ्यक्रम दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से संचालित किए जाएंगे, जिसके विनाशकारी परिणाम होंगे।
क्या कोई दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले से इलाज कराएगा?
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने आगे कहा, "मैं यह सोचकर कांपता हूं कि क्या कोई मरीज ऐसे डॉक्टर से इलाज कराना चाहेगा जिसने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की हो। इंजीनियरों के कार्यों का खासा महत्व है क्योंकि वे देश के बुनियादी ढांचे के निर्माण में शामिल हैं। और ज्ञान की कमी के कारण किसी भी तरह की ढिलाई / अक्षमता न केवल नागरिकों के कीमती जीवन को खतरे में डालती है बल्कि राज्य के खजाने को भी महंगा पड़ता है।”