जब दुनिया भर में इस अमेरिकी कंपनी के उत्पाद वापस लिए जा रहे हैं तो यह भारत के बाजारों में कैसे पहुंच गए?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 1, 2019 09:00 AM2019-08-01T09:00:01+5:302019-08-01T09:00:01+5:30

अमेरिकी फार्मा कंपनी के खामीयुक्त हिप-इम्प्लान्ट (कूल्हा प्रतिरोपण) के कारण लोगों को परेशानी होने का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में उठा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सरकार से चिकित्सा उपकरणों के नियमन के लिए एक कठोर कानून बनाने की मांग की.

How the products of the banned US company worldwide reached India! | जब दुनिया भर में इस अमेरिकी कंपनी के उत्पाद वापस लिए जा रहे हैं तो यह भारत के बाजारों में कैसे पहुंच गए?

जब दुनिया भर में इस अमेरिकी कंपनी के उत्पाद वापस लिए जा रहे हैं तो यह भारत के बाजारों में कैसे पहुंच गए?

Highlightsकांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमेरिका में इसी फार्मा कंपनी ने एक अरब डॉलर से अधिक के मुआवजे के मामले स्वीकार किए हैं सरकार से देश में चिकित्सा उपकरणों के नियमन के लिए कठोर कानून बनाने की मांग भी की

अमेरिकी फार्मा कंपनी के खामीयुक्त हिप-इम्प्लान्ट (कूल्हा प्रतिरोपण) के कारण लोगों को परेशानी होने का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में उठा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सरकार से चिकित्सा उपकरणों के नियमन के लिए एक कठोर कानून बनाने की मांग की. शर्मा ने कहा कि जब दुनिया भर में इस कंपनी के उत्पाद वापस लिए जा रहे हैं तो यह भारत के बाजारों में कैसे पहुंच गई ? हमारे देश में इसके इम्प्लान्ट पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया ?

उन्होंने सरकार से देश में चिकित्सा उपकरणों के नियमन के लिए कठोर कानून बनाने की मांग भी की. विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया. उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान आनंद शर्मा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि बीते एक दशक के दौरान न केवल भारत में बल्कि दूसरे देशों में भी बड़ी संख्या में मरीजों को खामी वाले इम्प्लान्ट लगाए गए. खास कर कूल्हे के प्रतिरोपण वाले मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा. कुछ को अलग अलग तरह के संक्रमण हुए, कुछ को ट्रॉमा से गुजरना पड़ा तो कुछ को कूल्हे के इम्प्लान्ट से कोबाल्ट तथा क्रोमियम के रिसाव की वजह से रक्त में संक्रमण या विषाक्तता का सामना करना पड़ा. कुछ मरीजों के अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उनकी मौत भी हो गई.

अमेरिका और आस्ट्रेलिया पहले ली लगा चुके हैं प्रतिबंध शर्मा ने कहा कि इस कंपनी के बनाए हुए दो तरह के इम्प्लान्ट पर अमेरिका में यूएसएफडीए ने तथा ऑस्ट्रेलियाई नियामकों ने 2010 में ही प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन हमारे देश में कमजोर नियामकीय कानूनों और गलत अभ्यावेदनों की वजह से ये इम्प्लान्ट भारतीय बाजार में पहुंच गए तथा मरीजों को खासी परेशानी हुई.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमेरिका में इसी फार्मा कंपनी ने एक अरब डॉलर से अधिक के मुआवजे के मामले स्वीकार किए हैं. भारत सरकार ने कूल्हे के खामीयुक्त इम्प्लान्ट के मामलों में नुकसान और मुआवजे पर विचार के लिए एक समिति गठित की थी जिसने करीब 4,000 मरीजों को 20 लाख रुपए का मुआवजा दिए जाने की सिफारिश की थी. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि कंपनी ने कह दिया कि केवल 66 मरीज ही खोजे जा सके.

Web Title: How the products of the banned US company worldwide reached India!

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