"1 व्यक्ति, एक जिंदगी में कितनी दूर जा सकता है और क्या कर सकता है", 'बाबूजी' के जीवन पर आधारित पुस्तक 'जवाहर' के विमोचन कार्यक्रम में बोले अधीर रंजन चौधरी
By आकाश चौरसिया | Published: December 4, 2023 05:22 PM2023-12-04T17:22:16+5:302023-12-04T17:37:19+5:30
अधीर रंजन चौधरी ने जवाहर दर्डा जी को याद कर कहा, "आप सबको एक व्यक्ति एक जिंदगी कितनी दूर जा सकते हैं और क्या कर सकते हैं। इस व्यक्ति की अगर चर्चा हो और इनसे आप कुछ सीखने की कोशिश करें तो आपको जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। आज इस समारोह में मेरा आमंत्रण दिया गया, इस आमंत्रण को सिर्फ स्वीकार ही नहीं और आभार प्रकट करते हैं। लोकमत सारे हिंदुस्तान में 1 नंबर की मीडिया बने।"
Book launch Jawahar based on senior freedom fighter Jawaharlal Darda: लोकमत के संस्थापक, वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं राजनीतिक-सामाजिक नेता श्री जवाहरलाल दर्डा 'बाबूजी' के अद्भुत प्रेरणादायी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित पुस्तक ‘जवाहर’ का विमोचन कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी हिस्सा लेने पहुंचे।
लोकतंत्र में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "सारे गणमान्य व्यक्ति का सबका धन्यवाद करता हूं। विजय दर्डा जी अपना व्यक्तव पेश किये हैं, उसमें से थोड़ा में योगदान करना चाहते हूं, लेकिन मुझे लगता है कि दर्डा जी और उनके परिवार की जानकारी के बारे में आप सब अवगत हैं। आज यह आज उनके पिता जी, दर्डा , समाज और देश में इनके योगदान के बारे में आपसब जानते हैं।"
फिर भी मैं विजय दर्डा की बात से जुड़ते हुए ये कहने चाहते हैं कि, श्री जवाहर लाल दर्डा जी की उपलब्धियां और योगदान किस प्रकार की थी, स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए, 400 मिल की पदयात्रा करते हुए सत्याग्रह आंदोलन, दिल्ली चलो आंदोलन, व्यक्तिगत सत्याग्रह में उन्होंने भाग लिया था। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए। 19 साल की उम्र में 1 साल 9 महीने की सजा हुई। जबलुर जेल में युवा सम्मेलन का आयोजन किया। 1944 में आजाद हिंद सेना की जवतमाल शाखा का गठन किया। 1945 में जवतमाल सिटी कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये। उस समय उनकी उम्र केवल 23 साल की थी। 1946 में साप्ताहिक संपादन किया। 1952 में लोकमत की शुरुआत और 1958 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन के मार्गदार्शन के रुप में एक साप्ताहिक की शुरुआत हुई थी।
उन्होंने कहा, "लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे साप्ताहिक लोकमत नाम दिया था। ब्रिटिश हुकुमत ने साप्ताहिक प्रकाश बंद कर दिया था। 1953 में दिवगंत जवाहर जी दर्डा ने लोकमत को पुनर्जीवित किया और 1971 में इसे दैनिक समाचार पत्र के रुप में इसे शुरु किया। आज 2 करोड़ 23 लाख पाठकों के साथ भारत का छठा और गोवा, दिल्ली, महाराष्ट्र का समाचार पत्र है। प्रिंट, डिजिटल टीवी में 80 मिलियन, इसके बैनर तले इसके 12 संस्करण और लोकमत समाचार हिंदी और लोकमत इंग्लिश के 3-3 संस्करण हैं। पूरी पाठक दो करोड़ 55 लाख से अधिक है।"
1958 में विनोभा बावे द्वारा शुरु किये गए उड़ान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। सहकारी कृषि आंदोलन का नेतृत्व भारते के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर की उपस्थिति में करोड़ों रुपये की जमीन जवतमाल हाउसिंग सोसाइटी को दान की।
सोमवार, 4 दिसंबर को राजधानी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री तथा डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष पद्म भूषण गुलाम नबी आजाद, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मंत्री विनोद तावड़े, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी, मीडिया में अपने विचारों से अलग पहचान रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री अलोक मेहता प्रमुखता से मौजूद रहें।
इस मौके पर वर्ल्ड पीस सेंटर और अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश मुनि जी आशीर्वचन देने मौजूद रहें। अपना सम्पूर्ण जीवन देश के लिए, गरीबों के कल्याण और दलितों के उत्थान के लिए समर्पित करने वाले कट्टर गांधीवादी जवाहरलाल दर्डा के कर्मठ जीवन के विभिन्न पहलुओं का इस पुस्तक में विवरण है, जो आनेवाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
देश की आजादी के लिए संघर्ष से लेकर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री तक की यात्रा के दौरान आए अनेक पड़ावों, संघर्षों और नैतिक मूल्यों से भरी उनकी जीवन यात्रा को पुस्तक में संजोया गया है। श्री जवाहरलाल दर्डा जैसे व्यक्ति का जन्म कई सौ वर्षों में एक बार होता है। उनका सम्पूर्ण जीवन समाज और देश के लिए प्रेरणादायी था। उन्होंने अद्भुत साहस, नेतृत्व, कौशल और नैतिक मूल्यों के साथ भारत को महान बनाने के लिए कठिन प्रयास किया. उनके विचार और कार्य हम सभी को आगे बढ़ने की सदा प्रेरणा देते हैं।