एमपी की राजनीति के सबसे चर्चित किरदारों में से एक शिवराज सिंह चौहान 18 साल तक मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज रहे । लेकिन एमपी के मन में शिवराज की जगह मोदी प्रोजेक्ट करने का प्लान बीजेपी ने सवा साल पहले ही तैयार कर लिया था और इसकी शुरुआत 22 अप्रैल 2022 को हुई थी। जब अमित शाह ने दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक की थी और मध्य प्रदेश सरकार के कामकाज का रिव्यू किया था।
दूसरी तारीख 17 अगस्त 2022 थी जब नगरी निकाय चुनाव के बाद पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड से बाहर कर दिया था। उस समय शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि उन्हें पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी उसे निभाने का काम करेंगे। पार्टी यदि दरी बिछाने को कहेगी तो दरी बिछाने का काम करेंगे।
इसके बाद भाजपा ने 10 अगस्त 2023 को जन आशीर्वाद यात्राओं का खाका तैयार किया और प्रदेश भर में अलग-अलग स्थान पर निकाली गई जन आशीर्वाद यात्राओं की जिम्मेदारी पार्टी के बड़े नेताओं को सौंप दी। मतलब साफ था कि कभी जन आशीर्वाद यात्रा का बड़ा चेहरा रहे शिवराज इस बार एक यात्रा के प्रभारी रहेंगे, यानी कि शिवराज को एक हिस्से तक सिमटा दिया गया।
21 अगस्त 2023 को सीएम कौन होगा के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि चुनाव के बाद पार्टी तय करेगी।
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा ने लोकसभा के सात सदस्यों को मैदान में उतारा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रह्लाद पटेल, रीति पाठक, राकेश सिंह, गणेश सिंह और उदय प्रताप सिंह शामिल थे। भाजपा ने पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी चुनाव मैदान में उतारा। जो संकेत था कि भाजपा ने राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए विकल्प खुले रखे हैं। और लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान एकमात्र पसंद नहीं हैं।
बीजेपी ने चुनाव के पहले अपने इलेक्शन कैंपेन को लांच किया और एमपी के मन में मोदी कैंपेन चलाया जो साफ संकेत था कि मोदी का चेहरा और मोदी शाह की रीति नीति ही एमपी में चुनाव में लागू होगी।
चुनाव नतीजे में मिली जीत के बाद पार्टी ने भोपाल में बुलाई भाजपा विधायक दल की बैठक से पहले शिवराज को फोन कर बताया कि अब एमपी में मोहन राज होगा। और इस तरीके से शिवराज की विदाई तय हो गई और मध्य प्रदेश की सत्ता में मोहन यादव मुख्यमंत्री के तौर पर काबिज हो गए।