अस्पताल मानवता की सेवा करने के बजाए बड़े रियल इस्टेट उद्योग की तरह हो गए हैं : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: July 19, 2021 18:46 IST2021-07-19T18:46:50+5:302021-07-19T18:46:50+5:30

Hospitals have become like big real estate industry instead of serving humanity: Supreme Court | अस्पताल मानवता की सेवा करने के बजाए बड़े रियल इस्टेट उद्योग की तरह हो गए हैं : उच्चतम न्यायालय

अस्पताल मानवता की सेवा करने के बजाए बड़े रियल इस्टेट उद्योग की तरह हो गए हैं : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 19 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में अस्पताल मानवता की सेवा करने के बजाए बड़े रियल इस्टेट उद्योग की तरह हो गए हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने निर्देश दिया कि आवासीय इलाकों में दो-तीन कमरे के फ्लैट में चलने वाले ‘नर्सिंग होम’ आग और भवन सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते हैं, इसलिए उन्हें बंद किया जाना चाहिए।

न्यायालय ने भवन उपनियमों के उल्लंघन में सुधार लाने के लिए समय सीमा अगले वर्ष जुलाई तक बढ़ाने पर गुजरात सरकार की खिंचाई की और ‘‘पूर्णाधिकार पत्र’’ अधिसूचना शीर्ष अदालत के 18 दिसंबर के आदेश के विपरीत है और ऐसी स्थिति में आग लगने की घटनाओं से लोग मरते रहेंगे।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने कहा, ‘‘आप (गुजरात सरकार) समय सीमा बढ़ाते रहे हैं जिसे पिछले वर्ष 18 दिसंबर के हमारे फैसले के परिप्रेक्ष्य में नहीं किया जा सकता है। अस्पताल कठिनाई के समय में रोगियों को राहत प्रदान करने के लिए होते हैं न कि नोट छापने की मशीन होते हैं।’’

आपदा के इस समय में अस्पताल बड़े उद्योग बन गए हैं और ‘‘आवासीय कॉलोनी में दो-तीन कमरे के फ्लैट से चलने वाले इस तरह के नर्सिंग होम को काम करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।’’

पीठ ने कहा, ‘‘बेहतर है कि इन अस्पतालों को बंद कर दिया जाए और सरकार को आवश्यक सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए। हम इन अस्पतालों एवं नर्सिंग होम को काम जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकते । यह मानवीय आपदा है।’’ अदालत ने महाराष्ट्र के नासिक का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की जहां पिछले वर्ष कुछ रोगी और नर्स मारे गए थे।

शीर्ष अदालत ने संकेत दिए कि गुजरात सरकार को अधिसूचना वापस लेनी होगी और कहा कि यह पिछले वर्ष के आदेश के खिलाफ प्रतीत होता है। न्यायालय ने कहा कि यह अधिसूचना जारी करने के बारे में एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।

इसने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के मुद्दे पर एक आयोग द्वारा सील कवर में दायर रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया और कहा कि ‘‘यह नाभिकीय गोपनीयता नहीं है बल्कि रिपोर्ट है। सील कवर में क्यों दिया गया।’’

इसने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से अधिसूचना के मुद्दे पर गौर करने और गुजरात सरकार के समक्ष इसे उठाने के लिए कहा और राज्य सरकार को पिछले वर्ष शीर्ष अदालत के फैसले के अनुपालन में कराए गए अग्नि सुरक्षा ऑडिट का ब्यौरा एवं अधिसूचना पर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत कोविड-19 रोगियों के उचित इलाज पर स्वत: संज्ञान से लिए गए मामले की सुनवाई कर रही थी और उसने मामले में सुनवाई की अगली तारीख दो हफ्ते बाद तय की।

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