हनी ट्रैप मामले में राज्य सरकार के जवाब से असंतुष्ट हाईकोर्ट ने कहा- आइंदा हमारी इजाजत के बिना न हो SIT में बदलाव

By भाषा | Published: October 22, 2019 05:15 AM2019-10-22T05:15:55+5:302019-10-22T05:15:55+5:30

हाई प्रोफाइल सेक्स स्कैंडल की जांच को लेकर राज्य सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए मामले की सीबीआई से जांच कराने की गुहार की गयी है। अदालत ने कहा कि उसके सामने मामले में राज्य सरकार की ओर से विभिन्न आदेश पत्र सीलबंद लिफाफे में पेश किये गये हैं और एसआईटी प्रमुख ने सीलबंद लिफाफे में ही प्रकरण की स्थिति रिपोर्ट भी सौंपी है।

Honey trap case: MP High Court asks governmentt not to change SIT chief without permission | हनी ट्रैप मामले में राज्य सरकार के जवाब से असंतुष्ट हाईकोर्ट ने कहा- आइंदा हमारी इजाजत के बिना न हो SIT में बदलाव

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Highlightsहनी ट्रैप (मोहपाश) मामले में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) में लगातार बदलाव को लेकर राज्य सरकार के जवाब से असंतुष्ट मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आइंदा उसकी अनुमति के बिना एसआईटी में कोई बदलाव नहीं किया जाये।उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति शैलेंद्र शुक्ला की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

बहुचर्चित हनी ट्रैप (मोहपाश) मामले में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) में लगातार बदलाव को लेकर राज्य सरकार के जवाब से असंतुष्ट मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आइंदा उसकी अनुमति के बिना एसआईटी में कोई बदलाव नहीं किया जाये। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति शैलेंद्र शुक्ला की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

इस याचिका में हाई प्रोफाइल सेक्स स्कैंडल की जांच को लेकर राज्य सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए मामले की सीबीआई से जांच कराने की गुहार की गयी है। अदालत ने कहा कि उसके सामने मामले में राज्य सरकार की ओर से विभिन्न आदेश पत्र सीलबंद लिफाफे में पेश किये गये हैं और एसआईटी प्रमुख ने सीलबंद लिफाफे में ही प्रकरण की स्थिति रिपोर्ट भी सौंपी है।

युगल पीठ ने कहा, "बहरहाल, इन दस्तावेजों में वह सामग्री नहीं है जिसके आधार पर मामले में एसआईटी प्रमुख इतनी जल्दी बदले गये हैं।" पीठ ने राज्य सरकार को 15 दिन की मोहलत देते हुए कहा कि वह मामले से जुड़े सारे दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में सौंपे। इस अवधि में एसआईटी प्रमुख की ओर से मामले की ताजा स्थिति रिपोर्ट और जनहित याचिका का "उचित जवाब" भी पेश किया जाये।

अदालत ने कहा, "मामले का इतिहास बताता है कि एसआईटी के प्रमुख लगातार बदले गये हैं और अब इस जांच दल की कमान तीसरे आईपीएस अधिकारी को सौंपी गयी है।" युगल पीठ ने मामले के प्रभारी अधिकारी और इंदौर के पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी क्षेत्र) अवधेश गोस्वामी को निर्देश दिया कि वह मामले के सारे इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को जांच के लिये हैदराबाद की क्षेत्रीय अपराध विज्ञान प्रयोगशाला भेजे और इनकी प्रामाणिकता के बारे में इस इकाई से रिपोर्ट हासिल करे।

अदालत ने कहा, "चूंकि जनहित याचिका एक बेहद संवेदनशील मामले से जुड़ी है। इसलिये प्रदेश सरकार को निर्देशित किया जाता है कि वह अब मामले का प्रभारी अधिकारी न बदले और अदालत की मंजूरी के बगैर उसे इंदौर से बाहर स्थानांतरित न करे।"

गौरतलब है कि इंदौर नगर निगम के एक अधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने 19 सितंबर को हनी ट्रैप गिरोह का औपचारिक खुलासा किया था। गिरोह की पांच महिलाओं और उनके ड्राइवर को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। गिरोह पर आरोप है कि वह खुफिया कैमरों से अंतरंग पलों के वीडियो बनाकर अपने "शिकारों" को इस आपत्तिजनक सामग्री के बूते ब्लैकमेल करता था। 

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