आतंक पर देश को एक होना होगा, पोटा कानून को वोटबैंक बचाने के लिए भंग किया गया थाः शाह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 15, 2019 04:06 PM2019-07-15T16:06:39+5:302019-07-15T16:06:39+5:30

Home Minister Amit Shah in Lok Sabha, today: Repealing POTA (Prevention of Terrorism Act) wasn't a right step, number of terrorists incidents increased so much between 2004-2008 that the then UPA govt had to bring in NIA. | आतंक पर देश को एक होना होगा, पोटा कानून को वोटबैंक बचाने के लिए भंग किया गया थाः शाह

शाह ने ओवैसी को जवाब देते हुए कहा कि किसी को डराया नहीं जा रहा है, लेकिन अगर डर जेहन में है तो बात अलग है।

Highlightsएनआईए कानून का शुद्ध रूप से आतंकवाद को खत्म करने के लिये ही उपयोग करेंगे : अमित शाह।एनआईए विधेयक को सरकार ने ‘राष्ट्रहित में बताया, कांग्रेस ने देश को ‘पुलिस स्टेट बनाने का प्रयास बताया।

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार की एनआईए कानून का दुरुपयोग करने की न तो कोई इच्छा है और न ही कोई मंशा है और इस कानून का शुद्ध रूप से आतंकवाद को खत्म करने के लिये ही उपयोग किया जायेगा।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 पर लोकसभा में चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए अमित शाह ने कहा कि कुछ लोगों ने धर्म का जिक्र किया और एनआईए कानून का दुरूपयोग किये जाने के विषय को भी उठाया।

‘‘ हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि मोदी सरकार की एनआईए कानून का दुरूपयोग करने की न तो कोई इच्छा है और न ही कोई मंशा है और इस कानून का शुद्ध रूप से आतंकवाद को खत्म करने के लिय उपयोग किया जायेगा।’’

कुछ सदस्यों द्वारा ‘पोटा’ (आतंकवादी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) का जिक्र किये जाने के संदर्भ में गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ पोटा कानून को वोटबैंक बचाने के लिए भंग किया गया था। पोटा की मदद से देश को आतंकवाद से बचाया जाता था, इससे आतंकवादियों के अंदर भय था, देश की सीमाओं की रक्षा होती थी।


इस कानून को पूर्ववर्ती संप्रग की सरकार ने 2004 में आते ही भंग कर दिया।’’ उन्होंने कहा कि पोटा को भंग करना उचित नहीं था, यह हमारा आज भी मानना है। पूर्व के सुरक्षा बलों के अधिकारियों का भी यही मानना रहा है । शाह ने कहा कि पोटा को भंग किये जाने के बाद आतंकवाद इतना बढ़ा कि स्थिति काबू में नहीं रही और संप्रग सरकार को ही एनआईए को लाने का फैसला करना पड़ा।

उन्होंने इस संदर्भ में मुम्बई में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट और 26:11 आतंकी हमले का भी उदाहरण दिया। गृह मंत्री ने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने वाली किसी एजेंसी को और ताकत देने की बात हो और सदन एक मत न हो, तो इससे आतंकवाद फैलाने वालों का मनोबल बढ़ता है।

मैं सभी दलों के लोगों से कहना चाहता हूं कि यह कानून देश में आतंकवाद से निपटने में सुरक्षा एजेंसी को ताकत देगा । ’’ उन्होंने कहा कि यह कानून देश की इस एजेंसी को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की ताकत देगा । यह समझना होगा कि श्रीलंका में हमला हुआ, हमारे लोग मारे गए, बांग्लादेश में हमारे लोग मारे गए ।


लेकिन देश से बाहर जांच करने का अधिकार एजेंसी को नहीं है । ऐसे में यह संशोधन एजेंसी को ऐसा अधिकार प्रदान करेगा । इस विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 उपबंध करता है कि अधिनियम की धारा 1 की उपधारा 2 में नया खंड ऐसे व्यक्तियों पर अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिये है जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के विरुद्ध या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करते हैं।

अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों को वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के अन्वेषण के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि भारत के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है।

इसमें भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है । इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अधिनियम के अधीन अपराधों के विचारण के मकसद से एक या अधिक सत्र अदालत, या विशेष अदालत स्थापित करें । 

एनआईए विधेयक को सरकार ने ‘राष्ट्रहित में बताया, कांग्रेस ने देश को ‘पुलिस स्टेट बनाने का प्रयास बताया

सरकार ने सोमवार को जोर दिया कि एनआईए की जांच करने की शक्ति का विस्तार करना आतंकवाद के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की उसकी नीति का हिस्सा है और यह राष्ट्रहित में है।

वहीं कांग्रेस के मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि एनआईए, यूएपीए, आधार जैसे कानूनों में संशोधन करके सरकार भारत को ‘पुलिस स्टेट’ में बदलना चाहती है । निचले सदन में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि जांच एजेंसियों का ‘राजनीतिक बदले’ के लिये दुरुपयोग किया जाता है।


उन्होंने इस संदर्भ में मीडिया में विषयों को लीक किये जाने के विषय को भी उठाया। उन्होंने कहा कि यह ध्यान में रखना चाहिए कि जब तक कोई व्यक्ति दोषी साबित नहीं होता है तब तक वह निर्दोष होता है। उन्होंने जांच और अभियोजन दोनों विषयों में फर्क किये जाने का भी उल्लेख किया।

तिवारी ने यह भी दावा किया कि एनआईए अधिनियम की संवैधानिक वैधता के विषय का अभी तक निपटारा नहीं किया गया है क्योंकि इसकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं अभी अदालतों में लंबित है। उन्होंने कहा कि एनआईए कानून को कुछ विशेष विषयों को ध्यान में रखते हुए लाया गया था।

अब इस विशेष कानून को अन्य कानून की तरह नहीं बनाएं । एनआईए जैसी जांच एजेंसी को किसी अन्य पुलिस एजेंसी की तरह नहीं बनाएं । कांग्रेस सदस्य ने आरोप लगाया कि एनआईए, यूएपीए और आधार जैसे कानूनों में संशोधन करके सरकार भारत को ‘पुलिस स्टेट’ में बदलना चाहती है।

विधेयक चर्चा एवं पारित होने के लिये पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए के जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसम्पत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो।

चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि मानवता और देश के हित में आतंकवाद से सबको मिलकर निटपना चाहिए। मुंबई के पुलिस आयुक्त रह चुके सिंह ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि पिछले कई वर्षों में आतंकवाद का राजनीतिकरण हुआ है। राजनीतिक फायदे के लिए यह सब किया गया।

उन्होंने कहा कि हैदराबाद के एक पुलिस प्रमुख को एक नेता ने एक आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका था और कहा कि कार्रवाई आगे बढ़ाते हैं तो उनके लिए मुश्किल हो जाएगी। इस पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी अपने स्थान पर खड़े हो गए और कहा कि भाजपा सदस्य जिस निजी वार्तालाप का उल्लेख कर रहे हैं और जिनकी बात कर रहे हैं वो यहां मौजूद नहीं हैं।

सदन में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब द्रमुक सदस्य ए राजा बोल रहे थे तो ओवैसी ने क्यों नहीं टोका ? वह भाजपा के सदस्य को क्यों टोक रहे हैं ? अलग अलग मापदंड नहीं होना चाहिए। इस पर ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो मुझे डराइए मत, मैं डरने वाला नहीं हूं।

शाह ने ओवैसी को जवाब देते हुए कहा कि किसी को डराया नहीं जा रहा है, लेकिन अगर डर जेहन में है तो बात अलग है। इसके बाद सत्यपाल सिंह ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि 2001 में जब अमेरिका में हमला हुआ तो उसने कारगर कदम उठाए। उसने मुंबई हमले के लिए डेविड हेडली के खिलाफ अपने यहां मुकदमा चलाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने बहुत पहले कर दिया और वो हम इस संशोधन विधेयक के माध्यम से अब कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि यह समय, मानवता और देशहित के लिए जरूरी है कि आतंकवाद से सब मिलकर निपटें।

 

Web Title: Home Minister Amit Shah in Lok Sabha, today: Repealing POTA (Prevention of Terrorism Act) wasn't a right step, number of terrorists incidents increased so much between 2004-2008 that the then UPA govt had to bring in NIA.

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