उच्चतम न्यायालय में बना इतिहास, नौ नये न्यायाधीशों ने पहली बार एक साथ शपथ ली

By भाषा | Published: August 31, 2021 04:27 PM2021-08-31T16:27:46+5:302021-08-31T16:27:46+5:30

History made in Supreme Court, nine new judges took oath together for the first time | उच्चतम न्यायालय में बना इतिहास, नौ नये न्यायाधीशों ने पहली बार एक साथ शपथ ली

उच्चतम न्यायालय में बना इतिहास, नौ नये न्यायाधीशों ने पहली बार एक साथ शपथ ली

उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को इतिहास रचा गया क्योंकि पहली बार नौ नए न्यायाधीशों ने एक साथ पद की शपथ ली। नए न्यायाधीशों के शपथ लेने के साथ ही उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की संख्या 33 हो गई है। शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ लेने वाले नौ नए न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना शामिल हैं। इनके अलावा भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार , न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और पी.एस. नरसिम्हा को भी पद की शपथ दिलाई। नौ नए न्यायाधीशों के शपथ लेने के साथ ही उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर अब 33 हो गई है। उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों की संख्या 34 है। मई 1960 में जन्मे न्यायमूर्ति ओका नौ न्यायाधीशों में सबसे वरिष्ठ हैं। वह शीर्ष अदालत में पदोन्नत होने से पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। इससे पहले वह बम्बई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। न्यायमूर्ति नाथ का जन्म 24 सितंबर, 1962 को हुआ था। उन्हें 10 सितंबर, 2019 को गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह सितंबर 2004 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। न्यायमूर्ति नाथ फरवरी 2027 में शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत के सेवानिवृत्त होने पर देश के प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। न्यायमूर्ति माहेश्वरी का जन्म 29 जून, 1961 को हुआ था। वह उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत होने से पहले सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। वह नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने थे और अक्टूबर 2019 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने थे। न्यायमूर्ति कोहली पदोन्नति से पहले तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थी। दो सितंबर 1959 को दिल्ली में जन्मी न्यायमूर्ति कोहली ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की थी। न्यायमूर्ति नागरत्ना सितंबर 2027 में पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। न्यायमूर्ति नागरत्ना का 30 अक्टूबर 1962 को जन्म हुआ और वह पूर्व प्रधान न्यायाधीश ई एस वेंकटरमैया की बेटी हैं। न्यायमूर्ति रविकुमार ने जनवरी 2009 में केरल उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी, उन्हें 15 दिसंबर 2010 से वहां स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। जनवरी 1960 में जन्मे न्यायमूर्ति रविकुमार ने सरकारी लॉ कॉलेज, कोझीकोड से कानून की डिग्री प्राप्त की और जुलाई 1986 में एक वकील के रूप में नामांकित हुए।न्यायमूर्ति सुंदरेश शीर्ष अदालत में पदोन्नत होने से पहले मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। उनका जन्म 21 जुलाई, 1962 को हुआ था। वह 31 मार्च, 2009 को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए थे और मार्च 2011 में स्थायी न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ति त्रिवेदी का जन्म जून 1960 में हुआ था। उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत होने से पहले वह गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायाधीश थी। वह फरवरी 2011 में गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुई थी। न्यायमूर्ति नरसिम्हा बार से सीधे पीठ में पदोन्नत होने से पहले वरिष्ठ अधिवक्ता थे। न्यायमूर्ति नरसिम्हा, न्यायमूर्ति नागरत्ना के बाद प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में भी हैं। प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका छह महीने से अधिक का कार्यकाल होगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: History made in Supreme Court, nine new judges took oath together for the first time

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे