टीपू सुल्तान की बायोपिक शूट होने की सूचना पर BJP और हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने मचाया बवाल, रोकनी पड़ी शूटिंग
By रामदीप मिश्रा | Published: September 27, 2019 12:08 PM2019-09-27T12:08:50+5:302019-09-27T12:41:57+5:30
तमिलनाडुः हिंदू मुन्नानी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर टीपू सुल्तान और तमिल अभिनेता कार्ति के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका मानना था कि कार्ति टीपू की भूमिका निभा रहे हैं।
तमिलनाडु के डिंडीगुल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और हिंन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने टीपू सुल्तान की जीवनी पर आधारित फिल्म की शूटिंग की सूचना मिलते ही रोकने के लिए जमकर विरोध प्रदर्शन किया है। खबरों की मानें तो फिल्म मंगलवार रात को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के साइट पर शूट की जा रही थी। उसी समय हिंदू मुन्नानी और बीजेपी के कार्यकर्ता वहां पहुंचे।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि हिंदू मुन्नानी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर टीपू सुल्तान और तमिल अभिनेता कार्ति के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका मानना था कि कार्ति टीपू की भूमिका निभा रहे हैं। मैसूर के तत्कालीन शासक को हिंदू समूहों ने मुस्लिमों का पक्षधर बताया है।
डिंडीगुल में शूटिंग को लेकर एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि विरोध प्रदर्शन के चलते कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन शूटिंग बाधित हुई है। जिस दौरान हिंदू मुन्नानी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं वहां पहुचे उस समय फिल्म की शूटिंग अंतिम चरण में थी। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया रिपोर्ट का विश्वास कर प्रदर्शन किया। लेकिन फिल्म का नाम सुल्तान नहीं बल्कि 'टीपू सुल्तान' था। बता दें कि यह पूरा बवाल अफवाह के चलते हुए हुआ है।
अधिकारी का कहना है कि फिल्म से जुड़े लोगों ने प्रदर्शनकारियों को मूल कहानी के बारे में बताया, लेकिन उन्होंने वहां से हटने के लिए मना कर दिया, जिसके बाद फिल्म क्रू वहां से चला गया।
फिल्म निर्माता एस आर प्रभु के ड्रीम वारियर पिक्चर्स ने गुरुवार को एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि फिल्म का टीपू सुल्तान से कोई लेना-देना नहीं है। फिल्म इंडस्ट्री को टारगेट करने वाले कई छोटे संगठनों की घटनाएं इन दिनों बढ़ रही हैं। एक फिल्म में दिखाया जाना है या नहीं यह तय करने के लिए सेंसर बोर्ड है। सेंसर बोर्ड के मानदंडों के भीतर क्या दिखाया जाना है, इसके बारे में कोई भी फैसला फिल्म निर्माता के पास जाता है। हम उन समूहों की निंदा करते हैं जो फिल्मों के निर्माण में बाधा उत्पन्न करते हैं।