हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "मुस्लिम लड़कियों को स्कूल में पढ़ने की इजाजत क्यों नहीं है, क्यों मुसलमान शख्स 2-3 महिलाओं से निकाह करेगा, हम इसके खिलाफ हैं"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 9, 2022 03:09 PM2022-12-09T15:09:40+5:302022-12-09T15:13:56+5:30
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के विषय में चिंता व्यक्त करने के उन्हें स्कूल जाने की इजाजत क्यों नहीं मिलती है और क्यों मुस्लिम पुरुष 2-3 औरतों के साथ निकाह कर सकते हैं। जबकि देश 'सबका साथ-सबका विकास' की अवधारणा पर सबकी तरक्की के बारे में सोच रहा है।
मोरीगांव: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बार फिर अल्पसंख्यक समाज की जड़ता और गैर-बराबरी वाली प्रथाओं पर जबरदस्त हमला बोला है। मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के विषय में चिंता व्यक्त करने के साथ-साथ मुस्लिम समाज में निकाह को लेकर पुरुषों के मिले अधिकार के संबंध में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि जिस देश में सबका साथ, सबका विकास की बात की जा रही हो, सभी के लिए समान अवसर की बात कही जा रही हो। वहां पर इस तरह के दोहरे नियमों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री सरमा ने असम के मोरीगांव में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, "हम सभी के लिए यह बेहद गंभीर विषय है कि मुस्लिम लड़कियां स्कूल में नहीं पढ़ सकती हैं, वहीं दूसरी ओर उसी मुस्लिम समाज में पुरुषों को 2-3 महिलाओं से निकाह के अधिकार मिले हुए हैं। हम इस व्यवस्था के पूरी तरह से खिलाफ में हैं। हम तो 'सबका साथ सबका विकास' चाहते हैं।"
Morigaon, Assam | We are trying to bring forward ‘Sabka Saath Sabka Vikas’. We don’t want that the Pomua Muslim students become Junab, Imam, by studying in Madrasas. We want that they should study in schools, and colleges: CM HB Sarma (08.12) pic.twitter.com/b4t4hRtyyc
— ANI (@ANI) December 9, 2022
इसके साथ ही मुस्लिम युवाओं की सामान्य शिक्षा के विषय के बारे में उन्होंने कहा कि 'सबका साथ-सबका विकास' के जरिये हमारा प्रयास है कि सभी को आगे लाया जाए। हम नहीं चाहते कि 'पोमुआ' मुस्लिम छात्र केवल मदरसों में पढ़कर इमाम बनें और उनकी जुबान में सिर्फ धर्म के बारे में बात करते रहें। हम चाहते हैं कि वे भी अन्य बच्चों की तरह स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ें और देश की तरक्की में अपना योगदान दें।
सीएम सरमा ने कहा कि इमाम बनने की जगह अगर ये बच्चे डॉक्टर या इंजीनियर बनेंगे तो समाज की और बेहतर सेवा कर सकेंगे। असम के हिंदू परिवारों के बच्चे डॉक्टर हो सकते हैं तो फिर मुस्लिम परिवार के बच्चे डॉक्टर क्यों नहीं हो सकते हैं। वोटबैंक की राजनीति पर हमला करते हुए उन्होंने जनसभा में मौजूद लोगों से कहा कि कोई भी नेता आपको इस तरह की सलाह नहीं देता क्योंकि वो डरता है कि कहीं 'पोमुवा' मुसलमान उन्हें वोट देना बंद न कर दें। लेकिन मेरी सोच उनके जैसी नहीं है, जो आपके भले के लिए होगा, जरूर उसके बारे में बोलूंगा और चाहूंगा कि आप इस ओर ध्यान दें।
नोट: असम में 'पोमुआ' मुस्लिम उन्हें कहा जाता है, जो पूर्वी बंगाल या बांग्लादेश से आए हैं और जिनकी मातृभाषा बांग्ला है।