पत्नी, चार नाबालिग बेटियों की हत्या के दोषी के मृत्युदंड को उच्च न्यायालय ने रखा बरकरार

By भाषा | Updated: July 10, 2021 21:02 IST2021-07-10T21:02:27+5:302021-07-10T21:02:27+5:30

High Court upholds death penalty for killing wife, four minor daughters | पत्नी, चार नाबालिग बेटियों की हत्या के दोषी के मृत्युदंड को उच्च न्यायालय ने रखा बरकरार

पत्नी, चार नाबालिग बेटियों की हत्या के दोषी के मृत्युदंड को उच्च न्यायालय ने रखा बरकरार

लखनऊ, 10 जुलाई इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने पत्नी व चार नाबालिग बेटियों की हत्या करने के दोषी व्यक्ति को सुनाए गये मृत्युदंड को बरकरार रखा है और सजा को कम करने की मुजरिम की याचिका को खारिज कर दिया।

दोषी रामानंद उर्फ नंद लाल भारती को लखीमपुर सत्र अदालत द्वारा 2016 में सुनायी गयी फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए उच्‍च न्‍यायालय ने कहा कि जिस प्रकार से दोषी ने साजिश रचकर पहले हत्याएं की और बाद में मिट्टी का तेल डालकर उनकी लाशों को जला दिया, उससे यह मामला दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आ जाता है। अतः सत्र अदालत ने इस दोषी को फांसी की सजा सुनाने मे कोई गलती नहीं की है।

यह फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्‍यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने दोषी भारती की सत्र अदालत के चार नवंबर, 2016 के फैसले के खिलाफ जेल से दाखिल अपील को खारिज कर दिया।

अदालत ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि दोषी के सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है और उसका आचरण बहुत ही संगीन व घृणित है। पीठ ने कहा कि दोषी ने दूसरी औरत के कारण अपनी पत्नी की हत्या कर दी, वहीं चार नाबालिग पुत्रियों को महज इसलिए मार दिया कि उसे उनकी शिक्षा व विवाह आदि पर खर्च न करना पड़े।

अदालत ने कहा कि उसकी मंशा इसी से जाहिर होती है कि घटना से एक सप्‍ताह पहले आरोपी ने अपने दस वर्षीय पुत्र को दूसरी जगह पढ़ने के बहाने भेज दिया था। अदालत ने अभियोजन के गवाहों की इस बात पर भी गौर किया कि आरोपी ने पहले अपने सगे भाई को मार दिया था और मृतक की बेटी को जो पांच लाख रुपये सरकार से मिले थे, हड़प लिये। बाद में उसके भाई की बेटी ने आत्‍महत्‍या कर ली थी।

इस मामले की प्राथमिकी दोषी के साले शम्भू रैदास ने लखीमपुर जिले के धौरहरा थाने में 22 जनवरी 2010 को दर्ज कराई थी। आरोपी के खिलाफ मुकदमा चला जिसके बाद 4 नवंबर 2016 को सत्र अदालत ने दोष सिद्ध होने पर उसे फांसी की सजा सुनाई थी।

दोषी की अपील का विरोध करते हुए शासकीय अधिवक्ता विमल कुमार श्रीवास्तव व अपर शासकीय अधिवक्ता चंद्र शेखर पांडे ने तर्क दिया था कि सारी परिस्थितियां दोषी के खिलाफ हैं। वकीलों ने कहा कि उसने अभियोजन पक्ष के गवाहों से अपने अपराध को कबूल किया था और फिर उसकी निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल हथियार व उसके खून से सने कपड़े बरामद हुए थे।

वकीलों ने कहा कि दोषी की उपस्थिति घटनास्थल पर साबित हुई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: High Court upholds death penalty for killing wife, four minor daughters

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे