उच्च न्यायालय अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवाई को सुनवाई करेगा

By भाषा | Published: August 31, 2021 04:54 PM2021-08-31T16:54:56+5:302021-08-31T16:54:56+5:30

High Court to hear plea challenging Asthana's appointment on Wednesday | उच्च न्यायालय अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवाई को सुनवाई करेगा

उच्च न्यायालय अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवाई को सुनवाई करेगा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका और इस मामले में हस्तक्षेप के लिए एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के आवेदन पर बुधवार को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘हम कल मामले को देखेंगे। (एनजीओ द्वारा दाखिल) हस्तक्षेप आवेदन को कल रिट याचिका के साथ सूचीबद्ध किया जाएगा।’’ उच्चतम न्यायालय ने 25 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली के पुलिस आयुक्त के तौर नियुक्ति को चुनौती देने वाली लंबित याचिका पर यथासंभव दो हफ्ते के अंदर निर्णय किया जाए। शीर्ष अदालत ने अस्थाना की नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने वाले गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) को सदरे आलम की लंबित याचिका में हस्तक्षेप के लिए उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दी। एनजीओ की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर उसकी याचिका का ‘‘कॉपी-पेस्ट’’ है। भूषण ने कहा, ‘‘हमने सीपीआईएल की ओर से एक हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया है। इस मामले में कुछ असाधारण हुआ है। पूरी याचिका ‘कॉपी-पेस्ट’ है। पूर्ण विराम, अल्पविराम, विस्मयादिबोधक चिह्न सब एक समान है। अदालत इसे कल या कभी भी सूचीबद्ध कर सकती है। देखिए कानून की प्रक्रिया का किस तरह का दुरुपयोग किया जा रहा है।’’ उन्होंने अदालत को सूचित किया कि अस्थाना की नियुक्ति के लिए एनजीओ की चुनौती को न्यायालय ने अंतिम अवसर पर स्थगित कर दिया था और उनका ‘‘यहां एक और याचिका दायर करने’’ का इरादा नहीं है। आलम ने कहा कि उनकी याचिका उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि वर्तमान उदाहरण ‘‘प्रतिस्पर्धी जनहित याचिका का मामला’’ है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक अस्थाना को 31 जुलाई को सेवानिवृत्त से चार दिन पहले 27 जुलाई को दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1984 बैच के अधिकारी अस्थाना को गुजरात कैडर से एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित क्षेत्र) काडर में लाया गया था। उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में, आलम ने अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त करने के गृह मंत्रालय द्वारा जारी 27 जुलाई के आदेश और अंतर-काडर प्रतिनियुक्ति और उन्हें सेवा विस्तार देने के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है। अधिवक्ता बी एस बग्गा के माध्यम से दाखिल याचिका में दिल्ली पुलिस आयुक्त की नियुक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा पहले जारी निर्देश के अनुसार सख्ती से कदम उठाने का आग्रह किया गया है। याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने प्रकाश सिंह मामले में कुछ शर्ते तय की थीं कि अनुशंसा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के जरिये होनी चाहिए और नियुक्ति के समय अधिकारी का सेवाकाल कम से कम छह महीने बचा होना चाहिए।

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