उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति उप-योजना के तहत कोष के उपयोग पर दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
By भाषा | Published: November 9, 2021 05:25 PM2021-11-09T17:25:09+5:302021-11-09T17:25:09+5:30
नयी दिल्ली, नौ नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ‘अनुसूचित जाति उप-योजना’ के तहत कोष के उपयोग के बारे में एक याचिका पर दिल्ली सरकार को मंगलवार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता हरनाम सिंह की जनहित याचिका (पीआईएल) पर नोटिस जारी किया। पीठ ने इस याचिका पर दिल्ली सरकार के साथ ही केंद्र से भी जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता महमूद प्राचा और जतिन भट्ट के मार्फत दायर याचिका में कहा है कि 1980 में छठी पंचवर्षीय योजना में शुरू की अनुसूचित जाति उप-योजना वार्षिक योजनाओं में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों व केंद्रीय मंत्रालयों में विकास के सभी क्षेत्रों में लाभों का न्यूनतम प्रवाह संबद्ध राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की आबादी के अनुपात में करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
याचिकाकर्ता की यह शिकायत है कि उप-योजना के तहत प्राधिकारों द्वारा आवंटित कोष का बहुत कम उपयोग किया गया, जो दिल्ली की अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्यों को संविधान के अनुच्छेद 14,15,16, 21,21ए, 37, 38, 39, 41, 46 और 47 के तहत प्रदत्त कई अधिकारों का हनन करता है।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार कोष को अन्य मद में उपयोग कर रही है जबकि कोष को व्यय करने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है और यह विशेष रूप से अनुसूचित जाति के लिए है।
इस विषय की अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी।
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