लॉकडाउन खुलने पर बदलेगी स्वास्थ्य क्षेत्र की तस्वीर, कोविड-19 और नॉन कोविड अस्पताल होंगे अलग

By एसके गुप्ता | Updated: April 23, 2020 18:56 IST2020-04-23T18:56:47+5:302020-04-23T18:56:47+5:30

एम्स निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर जारी नए कानून पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बहुत से मरीज कोरोना संक्रमित होने के बावजूद उपचार के लिए अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं।

Health zone picture will change when lockdown opens, Kovid-19 and Non Kovid Hospital will be separated | लॉकडाउन खुलने पर बदलेगी स्वास्थ्य क्षेत्र की तस्वीर, कोविड-19 और नॉन कोविड अस्पताल होंगे अलग

लॉकडाउन खुलने पर बदलेगी स्वास्थ्य क्षेत्र की तस्वीर, कोविड-19 और नॉन कोविड अस्पताल होंगे अलग

Highlightsजिन मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है, ऐसे कोरोना संक्रमित रोगियों को ऑक्सीजन थैरेपी दी जाती है। कोरोना महामारी से लडने के लिए एचसीक्यू और एजिथ्रोमाइसिन जैसी दवाओं का देश में पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।

लॉकडाउन खुलने पर स्वास्थ्य क्षेत्र की तस्वीर अलग होगी। कोरोना संक्रमण नॉन कॉविड मरीजों में न फैले इसके लिए कोविड अस्पताल और नॉन कोविड अस्पताल अलग होंगे। अस्पतालों में रोगियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर उपचार देने तक में काफी सतर्कता बरती जाएगी। एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नॉन कोविड रोगियों जिनमें कैंसर, कीमो थैरेपी, डायलेसिस और किडनी संबंधी जटिल रोग से ग्रस्त मरीज हैं।

उनके उपचार को रोका नहीं जा सकता है। ऐसे में यह जरूरी है कि कोविड और नॉन कोविड अस्पताल को अलग रखा जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोविड-19 रोगियों के लिए अस्पतालों में आने-जाने का बिल्कुल अलग मॉडल बनाया गया है, जिससे नॉन कोविड मरीज कोरोना संक्रमित रोगियों से दूर रहे और संक्रमण उन तक न पहुंचे।

एम्स निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर जारी नए कानून पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बहुत से मरीज कोरोना संक्रमित होने के बावजूद उपचार के लिए अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे लोग अस्पतालों में देरी से पहुंच रहे हैं। जबकि लोगों को समय से उपचार कराना चाहिए, जिससे वह खुद की, अपने परिवार और नजदीकियों की जान को खतरें में न डालें। 

जिन मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है, ऐसे कोरोना संक्रमित रोगियों को ऑक्सीजन थैरेपी दी जाती है। उन्होंने कहा कि 80 फीसदी लोगों में साधारण लक्षण होते हैं। जबकि 15 फीसदी रोगियों को ही ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत होती है और 5 फीसदी कोरोना रोगियों को ही वेंटिलेटर पर उपचार दिया जाता है। 

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से लडने के लिए एचसीक्यू और एजिथ्रोमाइसिन जैसी दवाओं का देश में पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। फेफडा विशेषज्ञ डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि 90 से 95 फीसदी कोरोना रोगी ठीक हो जाते हैं। इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। जरूरत समय से उपचार लेने की है। 

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