केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को आगामी वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र को 62,659.12 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। यह धनराशि बीते दो वित्तीय वर्षों में दी गई धनराशि से कहीं अधिक है।
साल 2018-2019 के लिए पेश बजट में इस क्षेत्र को 52,800 करोड़ रुपये दिये गए थे। यानी स्वास्थ्य के लिए बजटीय आवंटन में इस बार 19 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। बजट में कहा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना ‘आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (एबी-पीएमजेएवाई) को 6,400 करोड़ दिये गए हैं जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र का बजटीय आवंटन 60,908.22 करोड़ का है।
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत ‘आयुष्मान भारत हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर’ की स्थापना के लिए 249.96 करोड़ रुपये जबकि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 1,349.97 करोड़ रूपयों का आवंटन किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत करीब 1.5 लाख उपकेंद्रों और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों को 2022 तक हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर्स में रूपांतरित किया जाना है। इन केंद्रों पर रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर और जरावस्था से संबंधित बीमारियों का उपचार मुहैया कराया जायेगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के लिए 32,995 करोड़ रुपये दिये गए हैं जबकि बीते बजट में इस मद में 30,129.61 करोड़ रूपये दिये गए थे। इस मिशन के एक घटक ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना’ के लिए 156 करोड़ रूपये दिये गए हैं जबकि बीते साल इसमें 1,844 करोड़ दिये गए थे।
यानी इस मद में कटौती की गई है। सरकार ने राष्ट्रीय एड्स और यौन संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के लिए बीते साल के आवंटित 2,100 करोड़ में 400 करोड़ का इजाफा करते हुये इसे 2,500 करोड़ कर दिया है।
अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) को 3,599.65 करोड़ दिये गए हैं और गत वित्त वर्ष में इस संस्थान को 3,018 करोड़ दिये गए थे। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में दस करोड़ रूपये की कमी की गई है। इसका बजट बीते साल के 50 करोड़ रूपये की तुलना में 40 करोड़ किया गया है।
सरकार ने कैंसर, मधुमेह और कार्डियो-वस्कुलर बीमारी और दिल के दौरों की रोकथाम के लिए आवंटित राशि 175 करोड़ रूपये बताई है जबकि बीते साल यह आंकड़ा 295 करोड़ रूपये का था। क्षेत्रीय देखभाल कार्यकम के कुल बजटीय आवंटन में 200 करोड़ की कमी की गई है।
यह धनराशि बीते साल 750 करोड़ थी जिसे अब 550 करोड़ कर दिया गया है। नर्सिंग सेवाओं के उन्नयीकरण के लिए 64 करोड़ दिये गए हैं जबकि फार्मेसी स्कूल और कालेजों के उन्नयन को पांच करोड़ दिये गए हैं। जिला अस्पतालों और राज्य सरकारी मेडिकल कॉलेजों (परास्नातक सीटें) के उन्नयन के लिए 800 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
सरकार ने जिला अस्पतालों को नए मेडिकल कॉलेज में तब्दील करने के लिए दो हजार करोड़ का आवंटन किया है। इसके अलावा 1,361 करोड़ सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए (स्नातक स्तर) दिये गए हैं साथ ही राज्य पैरामेडिकल साइंस संस्थान और पैरामेडिकल शिक्षा के कॉलेजों की स्थापना के लिए 20 करोड़ रूपये दिये गए हैं।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में बढ़ोतरी नहीं, 4700 करोड़ रुपये का आवंटन
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पेश बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के आवंटन में कोई बढ़ोतरी नहीं करते हुए पिछली बार की तरह इस बार भी 4700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट के मुताबिक अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए 4700 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
इससे पहले 2018-19 के आम बजट में मंत्रालय के लिए आवंटन में 505 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई थी। उस वित्त वर्ष में मंत्रालय के लिए 4700 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। वर्ष 2017-18 में मंत्रालय के लिए 4195 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, जबकि 2016-17 में 3800 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे।
लोकपाल को मिला 100 करोड़ से ज्यादा का बजट
भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल को 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है जबकि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के लिये वित्त वर्ष 2019-20 में 35.55 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिये एक फरवरी को पेश किये गए अपने अंतरिम बजट में लोकपाल के लिये वर्ष 2018-19 में निर्धारित 4.29 करोड़ रुपये की राशि में फेरबदल नहीं किया था।
भ्रष्टाचार निरोधक निकाय को इस साल मार्च में अपना अध्यक्ष और सदस्य मिले थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को पेश किये गए बजट के मुताबिक लोकपाल के लिये 2019-20 में कुल 101.29 करोड़ की रकम निर्धारित की गई है। यह प्रावधान लोकपाल के लिये स्थापना एवं निर्माण संबंधी व्यय के उद्देश्य से किया गया है।
लोकपाल अभी राष्ट्रीय राजधानी के एक पांच सितारा होटल से अपना काम कर रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 23 मार्च को न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल के अध्यक्ष के तौर पर पद की शपथ दिलाई थी। न्यायमूर्ति घोष ने 27 मार्च को लेकपाल के आठ सदस्यों को पद की शपथ दिलाई थी। वहीं सीवीसी को मौजूदा वित्त वर्ष में 35.55 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी है।
बजट में सीबीआई के लिए आवंटन में मामूली वृद्धि
भ्रष्टाचार और बैंकिंग घोटालों से जुड़े कई संवेदनशील और बहुचर्चित मामलों की जांच रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को 2019-20 के केंद्रीय बजट में 781.01 करोड़ आवंटित किए गए हैं। ब्यूरो को आवंटित धनराशि में पिछले वित्त वर्ष की अपेक्षा 2.08 करोड़ की मामूली वृद्धि हुयी है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-20 का केंद्रीय बजट शुक्रवार को संसद में पेश किया।
एजेंसी के पास कई प्रत्यर्पण मामले हैं जिनमें विदेशों की अदालतों में कानूनी लड़ाई चल रही है। इसके अलावा अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला, पोंजी घोटाला, अवैध खनन घोटाला जैसे भ्रष्टाचार के मामले और मणिपुर में फर्जी मुठभेड़ मामले में एजेंसी के पास हैं जिनमें बड़े पैमाने पर कार्यबल और संसाधनों की जरूरत है।
बजट दस्तावेजों के अनुसार, सीबीआई को पिछले साल 778.93 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जो इस बार बढ़कर 781.01 करोड़ रुपये हो गए हैं। सीबीआई को 2018-19 के बजट में शुरू में 698.38 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 778.93 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
बजट दस्तावेजों में कहा गया है कि यह प्रावधान सीबीआई के स्थापना-संबंधी खर्च के लिए है जिसे लोक सेवकों, निजी व्यक्तियों, कंपनियों और अन्य गंभीर अपराधों के मामलों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में जांच और अभियोजन का जिम्मा सौंपा गया है।