हेट स्पीच मामले में सभी राज्य स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज करें FIR, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश- बिना धर्म देखे करें कार्रवाई, इसमें देरी कोर्ट की अवमानना

By अनिल शर्मा | Published: April 28, 2023 05:48 PM2023-04-28T17:48:03+5:302023-04-28T18:03:23+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषण को एक गंभीर अपराध करार दिया, जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित करने में सक्षम है।

hate speech case SC directs states book fir suo motu cognizance if there is no complaint | हेट स्पीच मामले में सभी राज्य स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज करें FIR, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश- बिना धर्म देखे करें कार्रवाई, इसमें देरी कोर्ट की अवमानना

हेट स्पीच मामले में सभी राज्य स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज करें FIR, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश- बिना धर्म देखे करें कार्रवाई, इसमें देरी कोर्ट की अवमानना

Highlightsहेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य स्वतः संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज करें।शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी है कि नफरती भाषण के मामलों को दर्ज करने में देरी को अदालत की अवमानना ​​माना जाएगा।

नई दिल्लीः हेट स्पीच मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार एक बार फिर सख्त रुख दिखाया । शीर्ष अदालत ने ऐसे मामले में शिकायत न होने पर सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को स्वतः संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। 

सुप्रीम कोर्ट ने कथित नफरती भाषणों के लिए भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बृंदा करात की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध करार दिया। अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों से कहा कि देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए धर्म की परवाह किए बिना हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें।

शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी है कि हेट स्पीच के मामलों को दर्ज करने में देरी को अदालत की अवमानना ​​माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 के अपने आदेश का दायरा बढ़ाया, सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे नफरती भाषणों को लेकर मामले दर्ज करें, भले ही कोई शिकायत नहीं की गई हो     

सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषण को एक गंभीर अपराध करार दिया, जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित करने में सक्षम है।

भाषा इनपुट के साथ

Web Title: hate speech case SC directs states book fir suo motu cognizance if there is no complaint

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