Haryana Nagar Nigam Chunav Result Live: हरियाणा नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 10 में से 9 नगर निगम पर कब्जा कर लिया है। महापौर पद पर ऐतिहासिक जीत को लेकर सोशल मीडिया पर बधाई की बाढ़ आ गई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जनता की जीत कहा। हरियाणा की जनता के आशीर्वाद और विश्वास से पिछले एक वर्ष में हमने "नॉन-स्टॉप हरियाणा" के संकल्प को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस एक वर्ष में हमने किसानों, युवाओं, महिलाओं और अन्त्योदय वर्ग के कल्याण के लिए कई निर्णय लिए हैं।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हाल में विश्वास जताया था कि भाजपा नगर निगम चुनाव जीतेगी। उन्होंने कहा था कि ‘‘ट्रिपल इंजन’’ सरकार के गठन के बाद काम तीन गुना तेजी से होगा। सैनी ने यह बात पार्टी के केंद्र, राज्य और नगर निकायों में सत्ता में होने के संदर्भ में कही थी। सोनीपत नगर निगम से राजीव जैन मेयर बन गए हैं।
मानेसर में पहली बार नगर निगम चुनाव हुए हैं और वहां निर्दलीय उम्मीदवार इंद्रजीत यादव ने जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सुंदर लाल को 2,293 मतों के अंतर से हराया। निवर्तमान नगर निगमों में 10 में से आठ नगर निकायों में भाजपा के महापौर थे। कांग्रेस में रह चुके निखिल मदान सोनीपत के महापौर थे।
2024 के विधानसभा चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हो गए और सोनीपत विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। अंबाला नगर निगम में हरियाणा जनचेतना पार्टी की नेता शक्ति रानी शर्मा महापौर थीं। वह भी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गईं और कालका विधानसभा सीट से जीत हासिल की।
अन्य नगर निगमों में जहां मतदान हुआ, वहां भाजपा के महापौर थे। बड़े अंतर से जीत दर्ज करने वाले महापौर उम्मीदवारों में भाजपा के फरीदाबाद से उम्मीदवार परवीन जोशी शामिल हैं, जिन्होंने तीन लाख से अधिक वोट से जीत हासिल की और गुरुग्राम से राज रानी ने 1.79 लाख से अधिक वोट से जीत हासिल की।
बड़े अंतर से जीत दर्ज करने वाले अन्य उम्मीदवारों में सोनीपत से जीतने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव जैन और करनाल से जीतने वाली रेणु बाला गुप्ता शामिल हैं। वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद वापसी की उम्मीद कर रही कांग्रेस को नगर निगम चुनाव में भी भाजपा ने धूल चटा दी।
निकाय चुनावों में कांग्रेस को झटका मिला है, जिसमें चुनाव से पहले जिलों में कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी की राज्य इकाई को पूर्व में भी अंदरूनी कलह और गुटबाजी का सामना करना पड़ा है, जबकि भाजपा के पास जमीनी स्तर पर एक सुव्यवस्थित और मजबूत संगठनात्मक ढांचा है।