हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जाट आंदोलन के दौरान 882 लोगों के खिलाफ दर्ज की गई 70 एफआईआर वापस लेने का फैसला लिया है। माना जा रहा है खट्टर सरकार ने ये फैसला 15 फरवरी को जींद में होने वाली बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रैली के मद्देनजर लिया है। फरवरी 2016 में हरियाणा के विभिन्न जिलों में जाटों ने आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन किए थे जिसमें व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कुछ जाट संगठन अमित शाह की रैली का विरोध कर रहे थे। राज्य सरकार ने जाटों को खुश करने के लिए ये फैसला लिया है।
इंडियन एक्सप्रेस को हरियाणा सरकार के अधिकारियों ने बताया कि जिन एफआईआर को वापस लिया जा रहा है वो पेड़ गिराने, हाईवे जाम करने और ट्रेन रोकने जैसे "छोटे" मामले से जुड़ी हैं। रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा सरकार अभी तक ऐसी 208 एफआईआर वापस ले चुकी है जिसमें 1980 लोग आरोपी थे। हरियाणा में पिछले साल हुई जाट हिंसा में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी।
हरियाणा के सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सरकार ने जाट हिंसा के पीड़ित परिवारों के 30 लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार सरकार ने नौकरी दी है। सरकार ने पीड़ितों को मुआवजा भी दिया है।
जाट आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठन ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने अमित शाह की रैली का विरोध करने की धमकी दी थी। संगठन के अध्यक्ष यशपाल आर्य ने जींद में अमित शाह की रैली में व्यवधान पैदा करने की धमकी दी है। यशपाल आर्य हरियाणा सरकार द्वारा वापस लिए गये मुकदमों से संतुष्ट नहीं है। यशपाल आर्य ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सरकार जाटों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है।
साल 2014 में हुए विधान सभा चुनाव के बाद हरियाणा में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी थी। बीजेपी ने गैर-जाट नेता मनोहर लाल खट्टर को राज्य का सीएम बनाया। हरियाणा के इतिहास में पहली बार कोई गैर-जाट मुख्यमंत्री बना।