हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: बीजेपी का टिकट पाने के लिए देने होंगे तीन टेस्ट, 30 फीसदी विधायकों का कटेगा पत्ता

By बलवंत तक्षक | Updated: September 19, 2019 08:10 IST2019-09-19T08:10:29+5:302019-09-19T08:10:29+5:30

माना जा रहा है कि मिशन 75 पार का लक्ष्य हासिल करने के लिए भाजपा इस बार अपने कई पुराने चेहरे बदल सकती है.

Haryana Assembly Elections 2019: Three tests to be given to get BJP ticket | हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: बीजेपी का टिकट पाने के लिए देने होंगे तीन टेस्ट, 30 फीसदी विधायकों का कटेगा पत्ता

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: बीजेपी का टिकट पाने के लिए देने होंगे तीन टेस्ट, 30 फीसदी विधायकों का कटेगा पत्ता

Highlightsपिछले चुनावों में 27 ऐसे लोगों को उम्मीदवार बनाया गया था, जो दल-बदलकर भाजपा में आए थे. 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा फिर अकेले लड़ी और 47 सीटें जीत कर अपनी सरकार बना ली.

हरियाणा में उम्मीदवारों के फैसले से पहले टिकट के दावेदारों को भाजपा के तीन चरण पार करने होंगे. ऐसे में टिकटों का ऐलान इस महीने के आखिरी हफ्ते तक ही संभव हो पाएगा.

तीन चरणों के इस सर्वे में, टिकट के चाहवानों को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की कसौटी पर खरा उतरना होगा.

हरियाणा में पहली बार अपने बलबूते सत्ता में आई भाजपा ने  इस बार-75 पार  का नारा दिया है.

इस नारे पर खरा उतरने के लिए टिकट वितरण के मामले में भाजपा आलाकमान का रुख उदार नहीं रहेगा. तय कसौटी पर खरे नहीं उतरने वाले मौजूदा विधायकों के टिकट भी काटे जा सकते हैं.

करीब 30 फीसदी टिकट बदले जा सकते हैं. टिकटों के लिए इस बार सबसे ज्यादा मारामारी भी भाजपा में ही है. पिछले थोड़े से अर्से में इनेलो, कांग्रेस, बसपा और आजाद विधायकों के अलावा बड़ी तादाद में पार्टी पदाधिकारी भाजपा में शामिल हो चुके हैं.

टिकट वितरण से पहले मुख्यमंत्री खट्टर पार्टी आलाकमान को अपने मंत्रियों और विधायकों के पांच साल का हिसाब देंगे. पार्टी के सभी मौजूूदा 48 विधायकों के लेखे-जोखे की फाइल उन्होंने पहले ही तैयार की हुई है.

टिकट देते समय उम्मीदवार के लिए जातीय समीकरणों के साथ ही उसकी जीतने की स्थिति को भी ध्यान में रखा जाएगा. माना जा रहा है कि मिशन 75 पार का लक्ष्य हासिल करने के लिए भाजपा इस बार अपने कई पुराने चेहरे बदल सकती है.

भाजपा 2009 के विधानसभा चुनावों में किसी पार्टी के साथ समझौता किए बिना अकेले ही मैदान में उतरी थी. तब 90 सीटों में से भाजपा ने केवल चार सीटों पर जीत दर्ज की थी.

2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा फिर अकेले लड़ी और 47 सीटें जीत कर अपनी सरकार बना ली. सत्ता हासिल करने की खातिर मजबूती से लड़ाई लड़ने के लिए भाजपा को तब पिछले चुनावों में किस्मत आजमा चुके 67 चेहरे बदलने पड़े थे.

पिछले चुनावों में 27 ऐसे लोगों को उम्मीदवार बनाया गया था, जो दल-बदलकर भाजपा में आए थे.

इस बार बहुत से ऐसे विधायकों को मुख्यमंत्री खट्टर ने भाजपा में शामिल किया है, जहां 2014 के चुनावों में पार्टी को मात खानी पड़ी थी.

भले ही इन विधायकों को बिना शर्त शामिल किया गया है, लेकिन जो अपने इलाके में मजबूत जनाधार रखते हैं, भाजपा सत्ता में वापसी के लिए उन्हें जरूर आजमाएगी.  

ऐसी स्थिति में टिकटों में बड़े बदलाव की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. जो भी होना है, अक्तूबर महीने के पहले हफ्ते तक सब साफ हो जाएगा.
 

Web Title: Haryana Assembly Elections 2019: Three tests to be given to get BJP ticket

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