हरियाणा विधानसभा चुनाव: सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा कर रही है बहु-स्तरीय बाधा का सामना!

By भाषा | Updated: September 21, 2019 20:31 IST2019-09-21T20:31:55+5:302019-09-21T20:31:55+5:30

भाजपा का मत प्रतिशत 2009 में लगभग नौ फीसदी था जो 2014 में जबरदस्त उछाल के बाद 33 प्रतिशत से अधिक पर पहुंच गया था। इनेलो के खाते में 19 विधायक थे लेकिन पार्टी के दो विधायकों का निधन हो गया जबकि कई अन्य भाजपा में शामिल हो गए है। विधानसभा में कांग्रेस के 17, बसपा के एक, पांच निर्दलीय और शिअद के एक विधायक हैं। 

Haryana assembly election: BJP is facing multi-level hurdle to retain power! | हरियाणा विधानसभा चुनाव: सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा कर रही है बहु-स्तरीय बाधा का सामना!

भाजपा के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया कि उनकी पार्टी प्रदेश में 75 से अधिक सीटें जीतेगी।

हरियाणा में पांच साल पहले अपने मत प्रतिशत में आये जबरदस्त उछाल के कारण सत्ता में आयी भारतीय जनता पार्टी को इस बार अपनी सत्ता बरकरार रखने तथा ‘मिशन 75 प्लस’ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बहु-स्तरीय बाधा का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए एक ही चरण में 21 अक्टूबर को मतदान कराया जाएगा।

राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला है। इन दोनों दलों के अलावा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), जननायक जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और स्वराज इंडिया पार्टी भी चुनावी मैदान में है। राज्य में चुनाव के दौरान विपक्ष द्वारा बेरोजगारी, युवाओं, किसानों, कर्मचारियों और पानी के मुद्दों को उठाये जाने की संभावना है।

सत्तारूढ़ भाजपा सरकार में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार को बिल्कुल सहन नहीं करने, योग्यता के आधार पर नौकरी देना, हरियाणा में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का कार्यान्वयन तथा राज्य एवं केंद्र सरकार की उपलब्धियां चुनाव के मुद्दे बना सकती है। चुनाव प्रचार के दौरान जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किये जाने का मुद्दा भी उठाये जाने की संभावना है।

भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन कर उत्साहित है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी दस सीटों पर जीत दर्ज की थी। पूर्व उप प्रधानमंत्री दिवंगत देवीलाल द्वारा गठित इनेलो को पिछले एक साल में कई झटके लगे हैं और चौटाला परिवार में आपसी झगड़े के कारण इसका विभाजन भी हो चुका है। इनेलो के अधिकतर मौजूदा विधायक अथवा प्रमुख नेता पार्टी को अलविदा कहकर चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए हैं।

अभय सिंह चौटाला सहित कुछ ही नेता अब बचे हैं जो पार्टी में हैं। हरियाणा कांग्रेस भी कथित गुटबाजी से परेशान है। हालांकि, पार्टी की राज्य इकाई में हालिया बदलाव के कारण पार्टी नेताओं का दावा है कि गुटबाजी अब अतीत की बात रह गयी है और भाजपा का मुकाबला करने के लिए सभी एकजुट हैं। गुटबाजी को समाप्त करने के उद्देश्य से कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को प्रदेश का नया अध्यक्ष बनाया है और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त किया गया है। इसके अलावा किरन चौधरी को चुनाव घोषणा पत्र समिति का प्रमुख बनाया गया है।

आम आदमी पार्टी, जननायक जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी प्रदेश में चुनाव अकेले लड़ रहे हैं। बसपा के साथ जजपा का गठबंधन इस महीने की शुरूआत में रूप नहीं ले सका था। भाजपा के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया कि उनकी पार्टी प्रदेश में 75 से अधिक सीटें जीतेगी। यह पूछे जाने पर कि आपका मुकाबला किससे है, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘समूचा विपक्ष बिखरा पड़ा है लेकिन कुछ खास सीटों पर मुकाबला होगा ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश के गढ़ी साम्पला किलोई सीट मुकाबला कांग्रेस से है। ऐलानाबाद में मुकाबला इनेलो के साथ है। इसी तरह कुछ सीटों पर जजपा के साथ और निर्दलीय के साथ है।’’ गौरतलब है कि गढ़ी साम्पला किलोई सीट से भूपेन्द्र सिंह हुड्डा विधायक हैं जबकि ऐलानाबाद सीट अभय चौटाला के पास है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा सभी 90 सीटों पर मजबूत है और नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से पहले हम इन सीटों के लिए उम्मीदवारों का चयन कर लेंगे।

खट्टर ने कहा, ‘‘संभावित उम्मीदवार कई हो सकते हैं लेकिन अंत में केवल 90 को ही टिकट मिलेगी।’’ अक्टूबर, 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में मत प्रतिशत में नाटकीय रूप से आये उछाल के कारण प्रदेश में पहली बार भाजपा को अकेले सरकार बनाने में सफलता मिली थी। पार्टी को 2009 में केवल चार सीटें मिली थी जबकि 2014 में उसे 47 सीटें मिली।

बाद में जींद उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा का मत प्रतिशत 2009 में लगभग नौ फीसदी था जो 2014 में जबरदस्त उछाल के बाद 33 प्रतिशत से अधिक पर पहुंच गया था। इनेलो के खाते में 19 विधायक थे लेकिन पार्टी के दो विधायकों का निधन हो गया जबकि कई अन्य भाजपा में शामिल हो गए है। विधानसभा में कांग्रेस के 17, बसपा के एक, पांच निर्दलीय और शिअद के एक विधायक हैं। 

Web Title: Haryana assembly election: BJP is facing multi-level hurdle to retain power!

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