असम की तर्ज पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टरहरियाणा में भी राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) लागू करना चाहते हैं. अबकी बार-75 पार के नारे पर खरा उतरने के मकसद से भाजपा को लगता है कि एनआरसी को मुद्दा बना कर हिंदू मतदाताओं (87. 46 फीसदी) को पार्टी के साथ खड़ा किया जा सकेगा.
चुनाव आयोग की तरफ से विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले मुख्यमंत्री ने हरियाणा में एनआरसी लागू करने का ऐलान किया है. खट्टर ने कहा कि हरियाणा सरकार परिवार पहचान पत्र पर तेजी से कार्य कर रही है और इसके आंकड़ों का उपयोग राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में किया जाएगा.
पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एच. एस. भल्ला का जिक्र करते हुए खट्टर ने कहा कि एनआरसी डाटा अध्ययन करने के लिए जल्दी ही वे असम के दौरे पर जा रहे हैं. उन्होंने माना कि भल्ला की सेवायें राज्य में स्थापित किए जाने वाले एनआरसी के लिए बड़ी उपयोगी रहेंगी.
राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में केवल चार सीटें मुस्लिम बहुल हैं. मेवात क्षेत्र की इन सीटों में से अभी भाजपा के पास कोई सीट नहीं हैं. फिरोजपुर-झरिका, नूंह और हथीन सीटों पर पिछले चुनावों में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने जीत दर्ज की थी, जबकि पुन्हाना सीट पर आजाद उम्मीदवार विजयी रहे थे, लेकिन अब यह चारों विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं.
आने वाले चुनाव में इन मुस्लिम बहुल सीटों पर भगवा फहराने की कोशिशों में जुटी है. इसी मकसद से कश्मीर में धारा-370 हटाए जाने के साथ ही भाजपा एनआरसी के मुद्दे को भी तूल देने के पक्ष में है.
हालांकि, हरियाणा में हिंदू-मुस्लिम कभी कोई समस्या नहीं रही. हरियाणा की कुल आबादी में मुस्लिम केवल 7. 03 फीसदी हैं. मेवात क्षेत्र का मुसलमान हमेशा ही हाशिये पर रहा है. घोर गरीबी और अशिक्षा के माहौल में जी रहा है. फिर भी मुख्यमंत्री खट्टर हरियाणा में एनआरसी लागू करना चाहते हैं. यह तब है, जब हरियाणा में कभी बांग्लादेशी घुसपैठियों की कभी कोई समस्या भी नहीं रही.