दिल्ली में डेल्टा स्वरूप के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी पाना मुश्किल है: अध्ययन

By भाषा | Published: October 15, 2021 02:00 PM2021-10-15T14:00:37+5:302021-10-15T14:00:37+5:30

Hard to get herd immunity against Delta Swarup in Delhi: Study | दिल्ली में डेल्टा स्वरूप के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी पाना मुश्किल है: अध्ययन

दिल्ली में डेल्टा स्वरूप के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी पाना मुश्किल है: अध्ययन

नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर दिल्ली में इस साल कोविड-19 के गंभीर प्रकोप से पता चला कि सार्स-सीओवी-2 वायरस के किसी अन्य स्वरूप से पहले संक्रमित हो चुके लोगों को वायरस का डेल्टा स्वरूप पुन: संक्रमित कर सकता है। वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने वायरस के स्वरूप के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) का विकास बहुत चुनौतीपूर्ण बताया।

पत्रिका ‘साइंस’ में बृहस्पतिवार को प्रकाशित अध्ययन में सामने आया कि डेल्टा स्वरूप दिल्ली में सार्स-सीओवी-2 के पिछले स्वरूपों की तुलना में 30 से 70 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक है।

दिल्ली में पिछले वर्ष मार्च में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के बाद से शहर में जून, सितंबर और नवंबर 2020 में वायरस ने कहर बरपाया। इस वर्ष अप्रैल में तो हालात बेहद खराब हो गए जब 31 मार्च से 16 अप्रैल के बीच संक्रमण के दैनिक मामले 2,000 से बढ़कर 20,000 तक पहुंच गए। इस दौरान अस्पतालों और आईसीयू में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बेहद दबाव में आ गई। वायरस की पहले की लहरों की तुलना में मरने वालों की संख्या भी तीन गुना बढ़ गई।

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि दिल्ली की कुल सीरो-पॉजीटिविटी 56.1 फीसदी है जिससे भविष्य में वायरस की लहर आने पर सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता के जरिए ही कुछ सुरक्षा मिलेगी। सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता से रोग से परोक्ष सुरक्षा मिलती है और यह तब विकसित होती है जब पर्याप्त प्रतिशत आबादी में संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है।

हालिया अध्ययन में महामारी के प्रकोप को समझने के लिए जिनोमिक और महामारी विज्ञान संबंधी आंकड़ों और गणितीय मॉडल का उपयोग किया गया।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स ऐंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी) के नेतृत्व में यह अध्ययन कैंब्रिज विश्वविद्यालय, इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन और कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया।

सह अध्ययनकर्ता कैंब्रिज विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रवि गुप्ता ने कहा, ‘‘वायरस के प्रकोप को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता की अवधारणा बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन दिल्ली में हालात दिखाते हैं कि कोरोना वायरस के पहले के स्वरूपों से संक्रमित होना डेल्टा स्वरूप के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा क्षमता प्राप्त करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘डेटा स्वरूप के प्रकोप को खत्म करने या इसे रोकने का एक ही तरीका है, या तो इस स्वरूप से संक्रमण हो जाए या फिर टीके की अतिरिक्त खुराक देना जिससे एंटीबॉडी का स्तर इस हद तक बढ़ जाए जो डेल्टा स्वरूप की बच पाने की क्षमता को ही खत्म कर दे।’’

अप्रैल 2021 में दिल्ली में कोरोना वायरस के कहर के लिए क्या सार्स-सीओवी-2 के स्वरूप जिम्मेदार थे? यह पता लगाने के लिए अध्ययनकर्ताओं के दल ने दिल्ली में नंवबर 2020 से जून 2021 के बीच के वायरस के नमूने एकत्रित किए जिनकी सिक्वेंसिंग की गई और विश्लेषण किया गया। इसमें उन्होंने पाया कि दिल्ली में 2020 का प्रकोप वायरस के किसी भी चिंताजनक स्वरूप के कारण नहीं था।

जनवरी 2021 तक अल्फा स्वरूप किन्हीं-किन्हीं मामलों में पाया गया, विशेषकर विदेश से आए लोगों में। यह स्वरूप सबसे पहले ब्रिटेन में सामने आया था। मार्च 2021 तक यहां इस स्वरूप के मामले 40 फीसदी हो गए। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि इसके बाद अप्रैल में डेल्टा स्वरूप से जुड़े मामलों में तेज इजाफा हुआ।

गणितीय मॉडल की मदद से और महामारी विज्ञान एवं जिनोमिक आंकड़ों के जरिए अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि डेल्टा स्वरूप उन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम है जो पहले सार्स-सीओवी-2 से पीड़ित रह चुके हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि संक्रमण की चपेट में आ चुके लोगों की डेल्टा स्वरूप से 50-90 फीसदी ही रक्षा हो पाती है।

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Web Title: Hard to get herd immunity against Delta Swarup in Delhi: Study

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