Hajj 2025: लब्बैक की सदाओं से गूंजता रहा अराफ़ात का मैदान, झुलसाती गर्मी के बीच हज सब्र का इम्तिहान 

By नईम क़ुरैशी | Updated: June 5, 2025 19:37 IST2025-06-05T19:36:50+5:302025-06-05T19:37:45+5:30

Hajj 2025 LIVE: हज का सफ़र जायरीनों और सऊदी सरकार के लिए सब्र का इम्तिहान बन गया है। इस साल भारत से लगभग 1.75 लाख लोग हज के लिए मक्का गए हैं।

Hajj 2025 LIVE Muslim pilgrims pray Mount Arafat plains Arafat kept resonating sounds Labbaik Hajj test patience amid scorching heat | Hajj 2025: लब्बैक की सदाओं से गूंजता रहा अराफ़ात का मैदान, झुलसाती गर्मी के बीच हज सब्र का इम्तिहान 

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Highlightsहज सफ़र की शुरुआत 4 जून से हो गई है। कैलेंडर माह ज़ुलहिज्जा की 8वीं तारीख से शुरू होती हैं। नारी सम्मान और न्याय का मूल मंत्र मानी जाता है।

अराफ़ातः गुरुवार को सऊदी अरब के मक्का स्थित मैदान अराफ़ात में भीषण गर्मी में दुआ और नमाज़ अदा करने के लिए 16 लाख विदेशी और लगभग इतने ही अरब मुमालिकों के मुस्लिम हज जायरीन इकट्ठा हुए। हज दुनिया की सबसे बड़ी सालाना धार्मिक यात्रा में से एक है। लाखों हाजियों के लब्बैक की सदाओं से अराफ़ात का मैदान गूंजता रहा। बढ़ते तापमान और खाना पानी संबंधी चुनौतियों के बीच, हज का सफ़र जायरीनों और सऊदी सरकार के लिए सब्र का इम्तिहान बन गया है। इस साल भारत से लगभग 1.75 लाख लोग हज के लिए मक्का गए हैं।

हज सफ़र की शुरुआत 4 जून से हो गई है। जिस की रस्में इस्लामी कैलेंडर माह ज़ुलहिज्जा की 8वीं तारीख से शुरू होती हैं। अराफ़ात के मैदान में ही पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्ल. ने 632 ईस्वी में अपना आखिरी खुत्बा दिया था, जिसे खुत्बा-ए-हज्जतुल विदा कहा जाता है। ये खुतबा मानवाधिकारों, समानता, नारी सम्मान और न्याय का मूल मंत्र मानी जाता है।

सऊदी अधिकारियों ने कहा कि दुनिया भर से मुसलमान हज के लिए आए हैं। गुरुवार को तापमान 100 डिग्री फ़ारेनहाइट से ऊपर चला गया। सऊदी सरकार ने कहा कि पिछले साल 1,300 से अधिक हज यात्रियों की मृत्यु हो गई, जिनमें से ज़्यादातर मिस्र से थे। सऊदी अधिकारियों ने कहा कि मरने वालों में से अधिकांश अपंजीकृत थे, जिसका मतलब है कि उन्होंने बिना परमिट के यात्रा की थी, जिससे उन्हें गर्मी से बचाव की सुविधा नही मिली थी।

सऊदी सरकार की तैयारी

सऊदी अरब के लिए यह हज यात्रा बहुत बड़ी चुनौती है, जो खुद को इस्लाम के सबसे पवित्र स्थलों का संरक्षक मानता है। सरकार ने मक्का और मदीना में बुनियादी ढांचे के विस्तार, बहुस्तरीय रास्ते, हाई-स्पीड ट्रेनें और अत्याधुनिक भीड़-नियंत्रण प्रणाली बनाने में अरबों डॉलर खर्च किए हैं।

अधिकारियों का कहना है कि इस साल के हज सीजन की तैयारी में रबरयुक्त और ठंडी सड़कों का विस्तार किया हैं जो सतह के तापमान को कई डिग्री तक कम कर देंगी। हज यात्रियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सऊदी अधिकारियों ने कहा कि हाजियों को पवित्र स्थलों के बीच पैदल नहीं चलना चाहिए, बल्कि इसके बजाय एयर कंडीशनर बसों में सवार होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि गुरुवार को अराफा में वातानुकूलित टेंट की सुविधा है।जहां हाजियों को चिलचिलाती धूप से खुद को बचाने में सुविधा हुई। सऊदी स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता खालिद अल ताला ने कहा, "इस मौसम में गर्मी से होने वाली बीमारियां सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।"

अवैध यात्रियों पर भारी जुर्माना 

सऊदी अधिकारियों ने इस साल भी बिना आधिकारिक परमिट के हज यात्रियों को यात्रा करने से रोकने के लिए एक अभियान चलाया है, जिसमें कई आगंतुक वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं, जिनका इस्तेमाल अतीत में हज के दौरान मक्का में प्रवेश करने पर प्रतिबंधों से बचने के लिए किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने बिना परमिट के 269,678 लोगों को रोका है। उल्लंघन करने वालों पर 20,000 रियाल, लगभग 5,300 डॉलर का जुर्माना और राज्य में प्रवेश पर 10 साल का प्रतिबंध लगाया जाता है।

हज के दौरान हुई बड़ी दुर्घटनायें 

पिछले कुछ वर्षों में हज यात्रा में कई दुर्घटना देखी गयी हैं। 2015 में हुई भगदड़ में 2,200 से अधिक लोगों की मौत के बाद, सऊदी अधिकारियों ने भीड़भाड़ को रोकने के लिए सख्त नियम के साथ मार्ग और समय प्रबंधन शुरू किया। हज यात्रा के दौरान दुर्घटनाओं के अलावा कई हाजी जो अक्सर वृद्ध और बीमार होते हैं, कठिन सफ़र के दौरान मर जाते हैं।

एक अध्ययन में पाया गया कि अगस्त 1985 में पवित्र स्थलों के आसपास 1,700 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें से अधिकांश गर्मी के कारण मारे गए। पिछले वर्ष गर्मी से हुई मौतों ने बढ़ते तापमान से होने वाले खतरों पर पुनः ध्यान केंद्रित कर दिया है। अपंजीकृत हज यात्रियों की वजह से 2024 में मौतों के बारे में सही आंकड़े की कमी में रही है। मिस्र के सैकड़ों तीर्थयात्री मारे गए, उनमें से कई अपंजीकृत थे। इनमें इंडोनेशिया के 199 और भारत के 98 हाजियों की मौत हुई थी।

जलवायु परिवर्तन से ख़तरनाक हुई हज यात्रा

वैसे तो हज हमेशा से ही शारीरिक रूप से थका देने वाला रहा है। हाजी अक्सर रेगिस्तान की तपती धूप में हर दिन 10 मील से ज़्यादा पैदल चलते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन ने इस अनुभव को और भी ज़्यादा ख़तरनाक बना दिया है। 2024 के हज के दौरान कुछ दिनों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस या 122 डिग्री फ़ारेनहाइट से भी ज़्यादा हो गया था।

सऊदी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, एक दिन में 2,700 से ज़्यादा लोगों को गर्मी से थकावट का सामना करना पड़ा। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने हाजियों के बीच गर्मी से बेचैनी और तनाव से संबंधित 62 मामलों का इलाज किया। सऊदी अधिकारियों के अनुसार पिछले साल दर्ज की गई ज़्यादातर मौतें अपंजीकृत तीर्थयात्रियों की हुई थीं,

जिनके पास वातानुकूलित टेंट और आधिकारिक ठंडे स्थानों तक पहुँचने की अनुमति नही थी। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक हज कई वर्षों तक गर्म महीनों में ही होता रहेगा, जिससे जोखिम और भी बढ़ जाएगा। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगली बार हज और भी ज्यादा गर्मियों में होगा। सन 2040 के हज में तो तापमान और भी अधिक होगा।

हज पर जाने की अनुमति किसे मिलती है?

1987 में सऊदी अरब ने प्रत्येक मुस्लिम बहुल देश के लिए हज परमिट के लिए कोटा प्रणाली शुरू की, जो आम तौर पर जनसंख्या के आकार पर आधारित होती है। उदाहरण के लिए इंडोनेशिया को हर साल 200,000 से ज़्यादा परमिट मिलते हैं। लेकिन मांग आपूर्ति से कहीं ज़्यादा है। कई देशों में प्रतीक्षा वर्षों तो क्या दशकों तक भी खिंच सकती है। कई मुसलमानों के लिए  ख़ास तौर पर कम आय पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए आधिकारिक पैकेज की लागत 10,000 डॉलर से ज़्यादा हो सकती है, जो हज को उनकी पहुँच से बाहर कर देती है।

इसके कारण बिना आधिकारिक परमिट के हज करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। कई लोग बिना लाइसेंस वाले ऑपरेटरों द्वारा पर्यटक या आगंतुक वीज़ा पर आते हैं। हज से पहले सऊदी में लगभग प्रतिदिन बिना अनुमति के हज पर जाने की कोशिश न करने की चेतावनी दी जा रही है।

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