राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान से कश्मीर की राजनीति में फिर आया भूचाल, मच गया बवाल
By सुरेश डुग्गर | Updated: November 27, 2018 16:45 IST2018-11-27T16:45:12+5:302018-11-27T16:45:12+5:30
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो राज्य की विधानसभा को भंग करने के अपने फैसले को सही ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक बार फिर स्पष्ट कर दूं कि अगर दिल्ली की तरफ देखता तो सज्जाद लोन की सरकार मुझे बनानी पड़ती और इतिहास में मैं बेईमान के तौर पर जाना जाता।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान से कश्मीर की राजनीति में फिर आया भूचाल, मच गया बवाल
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग होने पर जारी सियासी दंगल के बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यह बयान देकर राजनीतिक भूचाल ला दिया है कि केंद्र सज्जाद लोन को सीएम बनाने की तैयारी में था। मलिक ने कहा कि अगर सज्जाद लोन की सरकार बनती तो यह सूबे के लोगों के साथ बेईमानी होती और वह ईमानदार नहीं रह पाते। केंद्र को सीधे निशाने पर लेते हुए मलिक ने आगे की आशंका भी जाहिर कर दी और कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि अब वह कब तक राज्यपाल बने रहेंगे।
दरअसल, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो राज्य की विधानसभा को भंग करने के अपने फैसले को सही ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक बार फिर स्पष्ट कर दूं कि अगर दिल्ली की तरफ देखता तो सज्जाद लोन की सरकार मुझे बनानी पड़ती और इतिहास में मैं बेईमान के तौर पर जाना जाता। लिहाजा मैंने उस मामले को ही खत्म कर दिया। अब जो गाली देंगे दें, लेकिन मैं संतुष्ट हूं कि मैंने ठीक काम किया। राज्यपाल का ये वीडियो ग्वालियर की एक यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह का है।
उनके इस बयान पर बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा कि गवर्नर को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने किस संदर्भ में ये बयान दिया है। केंद्र से कोई दबाव नहीं था। दिल्ली और राज्य दोनों के नेतृत्व ने असेंबली को भंग करने के गवर्नर के कदम की सराहना की थी।
जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग करने पर पहली बार सफाई देते हुए मलिक ने सीधे तौर पर केंद्र पर निशाना साधा। मलिक ने कहा कि दिल्ली की तरफ देखता तो लोन की सरकार बनानी पड़ती। मैं इतिहास में एक बेईमान आदमी के तौर पर जाना जाता। लिहाजा मैंने उस मामले को ही खत्म कर दिया। आज लोग मुझे गाली देते हैं, तो देते रहें। लेकिन मैंने सही काम किया है।
याद रहे कि जम्मू कश्मीर में पिछले दिनों सरकार बनाने के लिए नेशनल कांफ्रेंस (नेकां), पीडीपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट के बीच अचानक राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी थी। इसके बाद से ही राज्यपाल विपक्ष के निशाने पर थे।
अब राज्यपाल मलिक ने पहली बार इस पर सफाई दी है। मलिक ने कहा कि मैं समझता हूं कि यह अज्ञानता है। इसे देखना ही नहीं चाहिए। उसी दिन उमर अब्दुल्ला और महूबबा मुफ्ती, दोनों यह कह रहे थे कि जीत हो गई। हम चाहते थे असेंबली टूट जाए। असेंबली टूट गई, हम जीत गए। दूसरे भी नहीं बना पाए, यह भी जीत है।
यह सच है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग करने की राज्यपाल सत्यपाल मलिक की कार्रवाई ने पीडीपी, नेकां और कांग्रेस को तो इतना नहीं चौंकाया था जितना उसने भाजपा को चौंकाया था क्योंकि सही मायनों में उन्होंने केंद्र में स्थापित भाजपा सरकार के उन कदमों को रोक दिया था जिसके तहत भाजपा सज्जाद गनी लोन के कांधों पर बंदूक रख कर सरकार बनाना चाहती थी और मात्र दो विधायक होने के बावजूद वे सरकार बनाने का दावा कर स्थिति को हास्यास्पद बना रहे थे।
इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि राज्यपाल के कदम से भाजपा का गणित गड़बड़ा गया है। जिस राज्यपाल को भाजपा ‘अपना आदमी’ बताती रही थी उनकी मदद से भाजपा का अप्रत्यक्ष सरकार बनाने का सपना इसलिए टूट गया क्योंकि विपक्ष ने ऐसा जाल फंसाया कि उसमें मलिक फंस कर रह गए थे।