ज्ञानवापी विवाद: काशी का संत समाज वजूखाने में मिले 'शिवलिंग' की पूजा करने पर अड़ा, संतों ने कहा, 'अगर पूजा नहीं होगी तो नमाज भी न हो, प्रशासन मस्जिद को करे सील'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 3, 2022 07:15 PM2022-06-03T19:15:04+5:302022-06-03T19:25:45+5:30

काशी के संतों ने ज्ञानवापी में मुस्लिम पक्ष द्वारा फव्वारा बताये जा रहे आकृति को ज्योतिष और द्वारका-शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती द्वारा आदि विशेश्वर कहे जाने के बाद ऐलान किया है कि वो उसकी पूजा करेंगे।

Gyanvapi controversy: Hindu saints adamant on worshiping 'Shivling' found in Vazukhana, saints said, 'If worship is not done, then prayers will not even be allowed, the administration should seal the entire mosque' | ज्ञानवापी विवाद: काशी का संत समाज वजूखाने में मिले 'शिवलिंग' की पूजा करने पर अड़ा, संतों ने कहा, 'अगर पूजा नहीं होगी तो नमाज भी न हो, प्रशासन मस्जिद को करे सील'

फाइल फोटो

Highlightsकाशी के संत ज्ञानवापी के वजूखाने में मिली कथित 'शिवलिंग' की विधिवत पूजा-अर्चना करेंगेसंतो के ऐलान से वाराणसी जिला-प्रशासन का हाथ-पैर फूल गया हैज्योतिष और द्वारका-शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने उसे 'आदि विशेश्वर' कहा

वाराणसी: काशी के संत समाज ने घोषणा की है कि वो शनिवार को ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिली कथित 'शिवलिंग' की विधिवत पूजा-अर्चना करेगा। संतो के ऐलान से वाराणसी जिला-प्रशासन का हाथ-पैर फूल गया है।

बताया जा रहा है कि संतों ने मुस्लिम पक्ष द्वारा फव्वारा बताये जा रहे आकृति को ज्योतिष और द्वारका-शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती द्वारा आदि विशेश्वर कहे जाने के बाद ऐलान किया है कि वो उसकी पूजा करेंगे और संविधान के किसी कानून में नहीं लिखा है कि हिंदू अपने आराध्य की पूजा नहीं कर सकता है।

इस मामले में स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि संत समाज शनिवार को सुबह 8.30 बजे केदार घाट के श्रीविद्यामठ से निकलेगा, जिसमें कुल 71 ब्राह्मण शामिल होंगे। इनमें से 64 ब्राह्मण भोलेनाथ की पूजन सामग्री के साथ 5 वैदिक ज्ञाताओं के साथ नाव से ललिता घाट पहुंचेगे।

अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि ललिता घाट पर सभी भक्त पीतल के कलश में पावन गंगा जल भरकर ज्ञानवापी में सदियों के कैद आदि विशश्वर की पूजा अर्चना के लिए प्रस्थान करेंगे। सभी ब्राह्मण भोलेनाथ की पूजा, आरती और भोग के पश्चात दिन में 10 बजे केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ वापस लौट आएंगे।

इसके घोषणा के साथ ही शुक्रवार को काशी धर्म परिषद ने साहित्यकार प्रेमचंद के गांव लमही में एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें संतों के साथ-साथ इतिहासकारों और सामाजिक बुद्धिजिवियों ने भाग लिया।

बैठक में काशी धर्म परिषद ने वाराणसी प्रशासन से ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले 'शिवलिंग' की तत्काल दर्शन-पूजन की मांग की। इसके साथ ही काशी के संत समाज ने चेतावनी दी की अगर वाराणसी प्रशासन हिंदुओं के लिए ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश को प्रतिबंधित करता है तो उसे फौरन मुस्लिमों की नामज भी रोक देनी चाहिए।

इस बैठक में काशी हिन्दू यूनिवर्सिटी के हिस्ट्री डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉक्टर मृदुला जायसवाल ने भी भाग लिया। डॉक्टर मृदुला जायसवाल ने बैठक में पावर पॉइंट के माध्यम से काशी पर हुए मुस्लिम आक्रमण को प्रदर्शित किया और साक्ष्यों के आधार पर इस बात को साबित किया कि साल 1669 में औरंगजेब ने काशी में आदि विश्वेश्वर के मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया।

यही नहीं डॉक्टर मृदुला ने अपनी बात की पुष्टि के लिए साकी मुस्तईद खान की किताब मासिर–ए–आलमगीरी का भी हवाला दिया। जिसमें बताया गया है कि अंग्रेज यात्री राल्फ फिच और पीटर मंडी ने मंदिर गिरने से पहले आदि विश्वेश्वर की पूजा की थी। यही नहीं उन्होंने बताया कि फ्रांसीसी यात्री बर्नियर और टैवर्नियर ने साल 1665 में काशी भ्रमण के दौरान आदि विश्वेश्वर की पूजा का वर्णन किया है।

इसके बाद संत समाज ने एक स्वर में कहा कि 1991 के वर्शिप एक्ट के दायरे में भी हिन्दुओं के ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने के मौलिक अधिकार है और इसके लिए अदालत में कानूनी साक्ष्य प्रस्तुत किये जाएंगे। काशी के संतों ने कहा कि कोर्ट और सरकार की सहायता से हम मंदिर लेकर रहेंगे।

काशी धर्म परिषद की बैठक में वाराणसी जिला प्रशासन को चेतावनी देते हए संतों ने कहा कि ज्ञानवापी में मिले 'शिवलिंग' की पूजा-अर्चना करने से रोका जाना पूरी तरह से गलत है, जबकि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद में आम दिनों की तरह नमाज पढ़ने की छूट दी जा रही है।

परिषद ने कहा यदि हिंदूओं की पूजा को रोका जा रहा है तो मुस्लिमों के नमाज पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगना चाहिए। जब तक इस मामले में कोर्ट का फैसला नहीं आता तब तक दोनों पक्षों के साथ समान व्यवहार होना चाहिए।

इसके साथ ही परिषद ने मुस्लिम धर्मगुरूओं से अपील की कि वो शिव के प्राण प्रतिष्ठित आस्था के केंद्र ज्ञानवापी पर अपना दावा स्वयं छोड़ दें।

इतना ही नहीं काशी धर्म परिषद ने इस बात का भी ऐलान किया कि परिषद मक्का और मदीना के इमामों को खत लिखकर बताएंगे कि औरंगजेब ने काशी में किस तरह से हिंदुओं की आस्था के प्रतीक आदि विशेश्वर के मंदिर को तोड़ने का महापाप किया है। 

Web Title: Gyanvapi controversy: Hindu saints adamant on worshiping 'Shivling' found in Vazukhana, saints said, 'If worship is not done, then prayers will not even be allowed, the administration should seal the entire mosque'

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