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ज्ञानवापी मामला: व्यास तहखाने में पूजा जारी रहेगी, इलाहबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज की

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: February 26, 2024 10:32 IST

31 जनवरी 2024 की रात करीब साढ़े 10 बजे 31 साल बाद व्यास जी का तहखाना पूजा-पाठ के लिये खोला गया था और उसकी साफ-सफाई करायी गयी। इसके बाद पूजा हुई।

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ठळक मुद्देज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यास तहखाने में पूजा जारी रहेगीइलाहबाद हाई कोर्ट ने इसे रोकने के लिए मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर की गई याचिका खारिज कर दीयह याचिका अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने दायर की थी

नई दिल्ली: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यास तहखाने में पूजा जारी रहेगी। इलाहबाद हाई कोर्ट ने इसे रोकने के लिए मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर की गई याचिका खारिज कर दी है। यह याचिका अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने दायर की थी।

इस बारे में जानकारी देते हुए ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, "आज इलाहबाद हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दी है, इसका मतलब है कि जो पूजा चल रही थी वह वैसे ही चलती रहेगी... अगर वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो हम भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे।"

बता दें कि  वाराणसी जिला अदालत द्वारा हिंदू समुदाय को ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा का अधिकार दिये जाने के बाद तहखाने में पूजा पाठ शुरू हुआ था। लेकिन  ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाराणसी जिला न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था।

 31 जनवरी 2024 की रात करीब साढ़े 10 बजे 31 साल बाद व्यास जी का तहखाना पूजा-पाठ के लिये खोला गया था और उसकी साफ-सफाई करायी गयी। इसके बाद पूजा हुई।  मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत के इस निर्णय को पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति देने के वाराणसी की ज़िला अदालत के फ़ैसले पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट से संपर्क कर सकते हैं।  मुस्लिम पक्ष ने इसके बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब इलाहबाद हाई कोर्ट से भी अंजुमन इंतजामिया कमेटी को झटका लगा है।

 ज्ञानवापी मामले पर राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, "...सर्वेक्षण के बाद कोर्ट ने आदेश दिया था कि पूजा होनी चाहिए... हाईकोर्ट इसे नहीं रोक सकता क्योंकि रोकने का कोई आधार नहीं है। यह मंदिर था और वहां पूजा होती थी... मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। जिस तरह राम जन्मभूमि का फैसला आया था, उसी तरह ज्ञानवापी का फैसला भी आएगा क्योंकि हिंदू पक्ष के पास उचित सबूत हैं।"

टॅग्स :ज्ञानवापी मस्जिदवाराणसीAllahabad High Courtकोर्ट
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