ज्ञानवापी मामला: एएसआई को मस्जिद परिसर के अंदर 55 हिंदू देवताओं की मूर्तियां मिलीं, जानिए सर्वेक्षण रिपोर्ट में और क्या है
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: January 28, 2024 12:16 PM2024-01-28T12:16:27+5:302024-01-28T12:18:00+5:30
एएसआई की रिपोर्ट में ये साफ किया गया है कि मंदिर को औरंगजेब के शासनकाल के दौरान 17 वीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया प्रतीत होता है। रिपोर्ट में ये भी है कि तोड़े गए मंदिर के एक हिस्से को ही मस्जिद की मौजूदा संरचना में पुन: उपयोग किया गया।
नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कुल 55 पत्थर की मूर्तियां मिलीं। एएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें 15 "शिव लिंग" हैं, "विष्णु" की तीन मूर्तियां, "गणेश" की तीन, "नंदी" की दो मूर्तियां शामिल हैं। साथ ही "कृष्ण" की दो, और "हनुमान" की पांच मूर्तियां मिली हैं।
वाराणसी जिला अदालत द्वारा एएसआई को यह पता लगाने का काम सौंपा गया था कि क्या मस्जिद एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर बनाई गई थी या नहीं! एएसआई की रिपोर्ट में ये साफ किया गया है कि मंदिर को औरंगजेब के शासनकाल के दौरान 17 वीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया प्रतीत होता है। रिपोर्ट में ये भी है कि तोड़े गए मंदिर के एक हिस्से को ही मस्जिद की मौजूदा संरचना में पुन: उपयोग किया गया। एएसआई रिपोर्ट चार खंडों में है। बता दें कि अदालत द्वारा हिंदू और मुस्लिम वादियों को इसकी प्रतियां सौंपे जाने के बाद गुरुवार को सार्वजनिक कर दी गई।
रिपोर्ट में क्या है...
खंड 3 के अनुसार एएसआई सर्वेक्षण के दौरान एक "मकर" की पत्थर की मूर्ति, एक "द्वारपाल", एक "अपस्मार पुरुष", एक "वोटिव मंदिर" के 14 टुकड़े और सात "विविध" पत्थर की मूर्तियां भी मिलीं। कुल 259 पत्थर की वस्तुएं मिलीं, जिनमें 55 पत्थर की मूर्तियां, 21 घरेलू सामग्री, पांच ऐसे स्लैब जिनपर खुदाई कर के कुछ लिखा गया है और 176 वास्तुशिल्प की सामग्री शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण के दौरान कुल 27 टेराकोटा वस्तुएं, 23 टेराकोटा मूर्तियाँ (दो देवी-देवताओं की, 18 मानव मूर्तियाँ और तीन जानवरों की मूर्तियाँ) भी मिलीं।
सर्वेक्षण के दौरान कुल 113 धातु की वस्तुएं और 93 सिक्के - जिनमें 40 ईस्ट इंडिया कंपनी के, 21 विक्टोरिया क्वीन के सिक्के और तीन शाह आलम बादशाह-द्वितीय के सिक्के भी मिले हैं। सर्वेक्षण के दौरान बरामद सभी वस्तुओं को बाद में वाराणसी जिला प्रशासन को सौंप दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृष्ण की एक मूर्ति बलुआ पत्थर से बनी है और मध्यकाल के अंत की है। यह तहखाने S2 के पूर्वी हिस्से में पाई गई थी।
रिपोर्ट में सूचीबद्ध एक "शिवलिंग" बलुआ पत्थर से बना है, इसकी तिथि/काल आधुनिक है, और स्थान "पश्चिमी कक्ष" था। "विष्णु" की एक अन्य मूर्ति बलुआ पत्थर से बनी है, और इसकी तिथि/काल प्रारंभिक मध्ययुगीन लिखी गई है।
इसका विवरण इस प्रकार है: “मौजूदा भाग एक बिना सिर वाले पुरुष देवता को दर्शाता है। दोनों हाथ टूटे हुए हैं, लेकिन दाहिना हाथ उठा हुआ दिखता है। बायां हाथ शरीर के ऊपर जाता हुआ प्रतीत होता है। दाहिना पैर घुटने के ऊपर फैला हुआ है। बायां पैर कूल्हे के पास से टूट गया है। मुद्रा और प्रतीकात्मक विशेषताओं के आधार पर, यह भगवान कृष्ण की छवि प्रतीत होती है। उन्हें हार, यज्ञोपवीत और धोती पहने हुए दिखाया गया है।” यह अच्छी हालत में है। हनुमान की एक मूर्ति भी मिली है जो संगमरमर से बनी है।