गुरुदेव टैगोर का दृष्टिकोण आत्मनिर्भर भारत का भी सार है :मोदी

By भाषा | Published: December 24, 2020 08:54 PM2020-12-24T20:54:57+5:302020-12-24T20:54:57+5:30

Gurudev Tagore's vision is also the essence of self-reliant India: Modi | गुरुदेव टैगोर का दृष्टिकोण आत्मनिर्भर भारत का भी सार है :मोदी

गुरुदेव टैगोर का दृष्टिकोण आत्मनिर्भर भारत का भी सार है :मोदी

शांतिनिकेतन (पश्चिम बंगाल), 24 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर का दृष्टिकोण भारत और दुनिया को सशक्त बनाने के उनकी सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का भी सार है।

हालांकि समारोह को लेकर विवाद भी पैदा हो गया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें इसमें आमंत्रित नहीं किया गया।

पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन स्थित देश के सबसे पुराने केंद्रीय विश्वविद्यालय विश्वभारती के शताब्दी समारोह को नयी दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘गुरुदेव, सर्वसमावेशी और सर्व स्पर्शी, सह-अस्तित्व और सहयोग के माध्यम से मानव कल्याण के बृहद लक्ष्य को लेकर चल रहे थे। विश्व भारती के लिए गुरुदेव का यही दृष्टिकोण आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है। यह अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है।’’

बनर्जी ने कोलकाता में संवाददाताओं से कहा कि

उन्हें विश्वविद्यालय के समारोह में भाग लेने के लिए लिखित या मौखिक, किसी तरह का निमंत्रण नहीं भेजा गया। इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रधानमंत्री हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, मुझे याद नहीं आ रहा कि मुझे समारोह के लिए कोई न्योता मिला। हालांकि, मैंने ट्विटर पर पोस्ट किया कि विश्वभारती स्थापना के 100 साल पूरे होने पर गर्व की अनुभूति करा रहा है।’’

शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी विश्वविद्यालय से निकले संदेश आज पूरे विश्व तक पहुंच रहे हैं और भारत आज ‘अंतरराष्ट्रीय सौर अलायंस’ के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में विश्व का नेतृत्व कर रहा है।

‘विश्वभारती’ को 1951 में संसद में पारित विधेयक के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्ञान के आंदोलन को गुरुदेव द्वारा स्थापित विश्वभारती विश्वविद्यालय ने नई ऊर्जा दी थी। गुरुदेव ने जिस तरह भारत की संस्कृति से जोड़ते हुए, अपनी परंपराओं से जोड़ते हुए विश्वभारती को जो स्वरूप दिया, उसने राष्ट्रवाद की एक मजबूत पहचान देश के सामने रखी। साथ-साथ, उन्होंने विश्व बंधुत्व पर भी उतना ही जोर दिया।

उन्होंने कहा कि भारत आज इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस समझौते के पर्यावरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के ‘‘सही मार्ग’’ पर है।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी इस समारोह के दौरान उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के ‘राष्ट्रवाद’ के चिंतन में मुखर थी।

उन्होंने कहा, ‘‘उनका दृष्टिकोण था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे। आपके विश्वविद्यालय का नाम ही देखिए, विश्व-भारती। मां भारती और विश्व के साथ समन्वय।’’

मोदी ने कहा कि गुरुदेव ने स्वदेशी समाज का संकल्प दिया था और वह गांवों तथा कृषि को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘वह वाणिज्य, व्यापार, कला, साहित्य को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे।’’

उन्होंने आजादी के आंदोलन और उसके बाद विश्व बंधुत्व को बढ़ावा देने में विश्वभारती विश्वविद्यालय की सराहना की और साथ ही छात्रों से ‘‘वोकल फॉर लोकल’’ अभियान से जुड़ने का आह्वान किया।

विश्वविद्यालय परिसर में प्रतिवर्ष लगने वाले पौष मेले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब हम आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता की बात कर रहे हैं तो विश्वभारती के छात्र-छात्राएं पौष मेले में आने वाले कलाकारों की कलाकृतियां ऑनलाइन बेचने की व्यवस्था करें। इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।’’

उन्होंने कला, संस्कृति, साहित्य, विज्ञान और नवाचार में इस विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की भी जमकर सराहना की।

भारत की आजादी के आंदोलन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भक्ति आंदोलन ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने का काम किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘भक्ति आंदोलन के साथ-साथ देश में कर्म आंदोलन भी चला। भारत के लोग गुलामी और साम्राज्यवाद से लड़ रहे थे। चाहे वो छत्रपति शिवाजी हों, महाराणा प्रताप हों, रानी लक्ष्मीबाई हों, कित्तूर की रानी चेनम्मा हों, भगवान बिरसा मुंडा का सशस्त्र संग्राम हो।’’

उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा, भारत की आत्मनिर्भरता और भारत का आत्मसम्मान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए तो बंगाल की पीढ़ियों ने खुद को खपा दिया था। इस कड़ी में उन्होंने खुदी राम बोस से लेकर बंगाल के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया।

उन्होंने विश्वभारती की सौ वर्ष की यात्रा को ‘‘बहुत विशेष’’ बताया और कहा कि यह विश्वविद्यालय माँ भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है।

उन्होंने विश्वविद्यालय को भारत के लिए देखे गए टैगोर के सपने को मूर्त रूप देने और देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला आराध्य स्थल बताया।

प्रधानमंत्री ने करीब दो महीने की अवधि में चार विश्वविद्यालयों- मैसूर विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और विश्वभारती के शताब्दी समारोहों और दीक्षांत समारोहों को संबोधित किया है।

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