गुरु तेग बहादुर पुण्यतिथिः सिखों के नौवें गुरु ने नहीं झुकाया क्रूर औरंगजेब के आगे सिर, ऐसे की धर्म की रक्षा
By रामदीप मिश्रा | Updated: November 24, 2018 07:47 IST2018-11-24T07:47:44+5:302018-11-24T07:47:44+5:30
Guru Tegh Bahadur Death Anniversary: गुरु तेग बहादुर का जन्म 1 अप्रैल, 1621 में हुआ था। उन्होंने गुरु नानक के बताए गए मार्ग का अनुसरण किया, जोकि सिखों के प्रथम गुरु थे।

गुरु तेग बहादुर पुण्यतिथिः सिखों के नौवें गुरु ने नहीं झुकाया क्रूर औरंगजेब के आगे सिर, ऐसे की धर्म की रक्षा
गुरु तेग बहादुर की आज पुण्यतिथि है। वह सिखों के नौवें गुरु थे। उन्होंने मुगल शासक के आगे झुकना मंजूर नहीं समझा और अपना सिर कटवा लिया, जिसके बाद वह इतिहास में अजर-अमर हो गए। उनके बार में कहा जाता है कि उन्होंने अपने धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांत ही हमेशा रक्षा की। आइए आपको गुरु तेग बहादुर के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें बताते हैं...
1- गुरु तेग बहादुर का जन्म 1 अप्रैल, 1621 में हुआ था। उन्होंने गुरु नानक के बताए गए मार्ग का अनुसरण किया, जोकि सिखों के प्रथम गुरु थे।
2- उनके द्वारा रचित बाणी के 15 रागों में 116 शबद गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मलित हैं। उन्होंने मुगलों के अत्याचार का विरोध किया, जिसमें मुगल कश्मीरी पण्डितों और अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बना रहे थे।
3- गुरु तेग बहादुर में कहा जाता है कि वह बचपन से ही संत स्वरूप, गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर व निर्भीक स्वभाव के थे। वे अक्सर धर्म के सत्य ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए भ्रमण किया करते थे और लोगों से मिलते थे।
4- बताया जाता है कि 1675 में मुगल शासक औरंगजेब बलपूर्वक इस्लाम कबूल करवा रहा था, जिसका गुरू तेग बहादुर ने कड़ा विरोध किया था। इसके बाद औरंगजेब ने उनसे भी इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा था, जिसे उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया था।
5- गुरु तेग बहादुर ने 1675 में मुगल शासक के इस्लाम कबूल करने के फरमान को लेकर कहा था कि सीस कटा सकते है केश नहीं। इसके बाद उनसा सिर काट दिया गया था।
6- बताया जाता है कि इस्लाम नहीं कबूल करने का फरमान 11 नवंबर, 1675 को दिल्ली के चांदनी चौक में काजी ने पढ़ा था।
7- काजी के फरमान पढ़ने के बाद जल्लाद जलालदीन ने 24 नवंबर, 1675 को तलवार से गुरु साहिब का शीश धड़ से अलग कर दिया था।
8- सिर कटते समय गुरू तेग बहादुर के मुंह से सी तक नहीं निकली थी। उनकी इस बहादुर की आज भी लोग मिसाल देते हैं।
9- गुरु तेग बहादुर की हत्या दिल्ली के चांदनी चौक में की गई थी, जहां आज गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब हैं। इन्हीं जगह पर उनका अन्तिम संस्कार किया गया था।
10- गुरु तेग बहादुर के बारे में कहा जाता है कि उनका बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए नहीं बल्कि समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत के लिए बलिदान था।