18 साल से अधिक उम्र की पत्नी की मर्जी के बिना सेक्स रेप नहीं, बनना चाहिए नया कानून: गुजरात हाई कोर्ट
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 3, 2018 08:31 AM2018-04-03T08:31:25+5:302018-04-03T08:36:34+5:30
गुजरात हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय दंड संहिता के मौजूदा प्रावधानों के तहत कोई बालिग पत्नी अपने पति पर आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत केस नहीं कर सकती।
गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार (दो अप्रैल) को एक अहम फैसले में कहा है कि अगर पति ने बालिग पत्नी की मर्जी के बगैर उसके साथ सेक्स किया है तो पत्नी अपने पति पर बलात्कार का अभियोग नहीं लगा सकती। गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस जेपी पर्दीवाला ने अपने फैसले में कहा कि अगर पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक है तो पति पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 (बलात्कार) के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। जस्टिस पर्दीवाला ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि भारतीय कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे एक पत्नी अपनी पति पर बलात्कार के लिए मुकदमा चला सके और अपने शरीर की रक्षा कर सके जैसे कि वो अपने बाकी अधिकारों की रक्षा कर पाती है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में इस मुद्दे पर विस्तार से देश के मौजूदा कानून और बाकी दुनिया में प्रचलित कानूनों की तुलना की है। जस्टिस पर्दीवाला ने कहा कि कानून निर्माताओं को पत्नी के साथ बगैर मर्जी के सेक्स करने को अपराध बनाना चाहिए। जस्टिस पर्दीवाला ने कहा कि कुछ "अतिस्वार्थी" महिलाओं की वजह से हमें ऐसा कानून बनाने से बचना नहीं चाहिए जिससे महिलाएँ वैवाहिक बलात्कार से बच सकें। जस्टिस पर्दीवाला ने कहा कि भारत में वैवाहिक बलात्कार काफी होता है।
गुजरात हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एक पत्नी अप्राकृतिक सेक्स के लिए आईपीसी की धारा 377 के तहत मुकदमा चला सकती है। हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार अप्राकृतिक सेक्स के मामले में सजा का निर्धारण "सहमति" (कंसेंट) के आधार पर नहीं होता। धारा 377 के तहत सेक्स करने के तरीके के आधार पर ही दोष का निर्धारत होता है। धारा 377 के तहत योनि मैथन के अतिरिक्त किसी भी तरह से सेक्स करना अप्राकृतिक माना जाता है, इसमें गुदा मैथुन इत्यादि शामिल है।
गुजरात हाई कोर्ट ने अपने फैसले ने कहा कि उसके सामने पेश हुए मामले में पीड़िता अपने पति पर जबरन मुख मैथुन कराने का आरोप लगाया है जो सोडोमी (गुदा मैथुन) के तहत नहीं आता। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पत्नी को सेक्स करने के लिए जबरन मजबूर करना आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध हो सकता है। आईपीसी की धारा 354 के तहत किसी महिला की गरिमा का उल्लंघन करना अपराध है।