गुजरात विधानसभा चुनावः 182 सीट पर एक और पांच दिसंबर को मतदान, प्रमुख भूमिका निभाने वाले 10 मुद्दे...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 3, 2022 16:12 IST2022-11-03T16:11:25+5:302022-11-03T16:12:48+5:30

Gujarat Assembly elections: गुजरात की 182-सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा। निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को चुनावी तारीखों की घोषणा कर दी।

Gujarat Assembly elections 2022 Voting on 182 seats on December 1 and 5, 10 issues playing a major role pm narendra modi | गुजरात विधानसभा चुनावः 182 सीट पर एक और पांच दिसंबर को मतदान, प्रमुख भूमिका निभाने वाले 10 मुद्दे...

लगातार छह चुनावी जीत दर्ज करते हुए इस राज्य में पिछले 27 सालों से शासन किया है। (file photo)

Highlightsमोरबी में पुल हादसा हुआ, जिसमें 135 लोगों की जान चली गई।कांग्रेस की कोशिश पिछले 27 सालों से विपक्ष की अपनी भूमिका का समाप्त कर सत्ता में वापसी की है। लगातार छह चुनावी जीत दर्ज करते हुए इस राज्य में पिछले 27 सालों से शासन किया है।

अहमदाबादः गुजरात का चुनावी परिदृश्य लंबे समय से दो ध्रुवीय रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (आप) भी यहां के चुनावी मैदान में हाथ आजमा रही है। आप यहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ विपक्षी दल कांग्रेस को भी चुनौती दे रही है जो भले ही प्रदेश में अपनी जमीन खो चुकी है लेकिन तब भी उसकी प्रभावी उपस्थिति है।

गुजरात की 182-सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा। निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को चुनावी तारीखों की घोषणा कर दी। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब कुछ दिन पहले ही राज्य के मोरबी में पुल हादसा हुआ, जिसमें 135 लोगों की जान चली गई।

पिछले महीने की 30 तारीख को हुई इस त्रासदी की भावनात्मक गूंज चुनावों में भी दिख सकती है। इस चुनाव के केंद्र में सत्ताधारी भाजपा का मुख्य चुनावी मुद्दा हिन्दुत्व, ‘डबल इंजन’ की सरकार और सरकार में बने रहने की निरंतरता के अलावा मुफ्त चुनावी सौगात और कल्याणकारी योजनाओं के बीच चल रही बहस के होने के आसार हैं।

पिछले कुछ सप्ताह से भाजपा और आप के बीच मुफ्त चुनावी सौगात और कल्याणवाद को लेकर जुबानी जंग चल रही है। चुनावों की तारीखों की घोषणा भले आज की गई हो लेकिन गुजरात में त्रिकोणीय चुनाव होने को लेकर पिछले कुछ समय से चर्चा जोरों पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई केंद्रीय मंत्री पिछले कुछ समय से लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री स्वयं एक नवंबर को मोरबी में थे और उन्होंने पुल हादसे से पैदा हुई स्थिति की समीक्षा की। फिलहाल, सबकी निगाहें आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ उनकी पार्टी के नेताओं पर टिकी हैं, जिन्होंने दशकों तक दो ध्रुवीय रहे राज्य में मतदाताओं को तीसरा विकल्प देते हुए जोर-शोर से प्रवेश किया है। इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उसने लगातार छह चुनावी जीत दर्ज करते हुए इस राज्य में पिछले 27 सालों से शासन किया है।

आप के लिए भी यह चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे उम्मीद है कि इस राज्य में यदि उसने चुनाव जीत लिया तो उसके राष्ट्रव्यापी अभियान को इससे बहुत बल मिलेगा। कांग्रेस की कोशिश पिछले 27 सालों से विपक्ष की अपनी भूमिका का समाप्त कर सत्ता में वापसी की है। लेकिन अभी तक पार्टी के शीर्ष नेताओं की राज्य में कोई गौर करने वाली सक्रियता नहीं दिखी है।

गुजरात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दबदबे से लेकर महंगाई और बेरोजगारी पर उभरे असंतोष तक विधानसभा चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाने वाले 10 मुद्दे कुछ इस प्रकार हैं:

1. नरेंद्र मोदी: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास प्रधानमंत्री के रूप में एक तुरुप का पत्ता है। वह 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह आठ साल पहले यह पद छोड़ चुके हैं, लेकिन उनके गृह राज्य में समर्थकों के बीच उनका जादू अब भी कायम है और अनेक राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनाव परिणाम में प्रधानमंत्री की भूमिका अहम होगी।

2. बिल्कीस बानो मामले के दोषियों को सजा पूरी होने से पहले माफी: गुजरात को संघ परिवार के हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है। बिल्कीस बानो सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड में दोषी ठहराये गये लोगों की सजा कम करने का असर बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग-अलग रहेगा। मुसलमान बिल्कीस बानो के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं हिंदू इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देना चाहेंगे।

3. सत्ता-विरोधी लहर: भाजपा 1998 से 24 साल से गुजरात की सत्ता में है और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार समाज के कुछ वर्गों में उसे लेकर असंतोष उपजा है। राजनीतिक जानकार हरि देसाई के अनुसार लोग मानते हैं कि महंगाई, बेरोजगारी और अन्य बुनियादी मुद्दों का भाजपा के इतने साल के शासन के बाद भी कोई हल नहीं निकला है।

4. मोरबी पुल हादसा: मोरबी में 30 अक्टूबर को पुल गिरने से 135 लोगों की जान चली गयी। इस घटना से प्रशासन और अमीर लोगों के बीच सांठगांठ सामने आई है। मतदान के लिए जाते समय लोगों के दिमाग में यह मुद्दा रह सकता है।

5. प्रश्नपत्र लीक और सरकारी भर्ती परीक्षाओं का स्थगित होना: बार-बार प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाएं और सरकारी भर्ती परीक्षाओं के स्थगित किये जाने से सरकारी नौकरी पाने की आस में मेहनत कर रहे युवाओं की उम्मीदों पर पानी फिरा है और असंतोष बढ़ा है।

6. राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी: अगर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में कक्षाएं बनाई जाती हैं तो शिक्षक नहीं होते। अगर शिक्षकों की भर्ती की जाती है तो पढ़ाई के लिए कक्षाएं नहीं होतीं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और चिकित्सकों की कमी भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित करती है।

7. किसानों का मुद्दा: राज्य के अनेक हिस्सों में किसान आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पिछले दो साल में अत्यधिक बारिश के कारण फसलों के नुकसान के ऐवज में मुआवजा नहीं दिया गया है।

8. खराब सड़कें: गुजरात को पहले इसकी बेहतर सड़कों के लिए जाना जाता था। हालांकि पिछले पांच-छह साल में राज्य सरकार और नगर निगमों ने नयी सड़कों का निर्माण नहीं किया है और वे पुरानी सड़कों का रखरखाव नहीं कर सके हैं। पूरे राज्य से सड़कों पर गड्ढों की शिकायतें आना आम बात है।

9. बिजली के अधिक बिल: गुजरात देश में बिजली की सर्वाधिक दरों वाले राज्यों में शामिल है। लोग आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के 300 यूनिट बिजली प्रति महीने मुफ्त देने के वादों की ओर देख रहे हैं। सदर्न गुजरात चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हाल में वाणिज्यिक विद्युत दरों को कम करने की मांग की थी।

10. भूमि अधिग्रहण: अनेक सरकारी परियोजनाओं के लिए जिन किसानों और भूस्वामियों की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनमें असंतोष है। किसानों ने अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाईस्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था। उन्होंने वड़ोदरा और मुंबई के बीच एक्सप्रेसवे परियोजना के लिहाज से भूमि अधिग्रहण का भी विरोध किया। 

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