GST Collections: मोदी सरकार को झटका, मार्च में संग्रह घटा, 97,597 करोड़ रुपये रहा, फरवरी में 1.05 लाख Crore था

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 1, 2020 06:21 PM2020-04-01T18:21:06+5:302020-04-01T20:40:52+5:30

वित्त मंत्रालय ने बुधवार को बयान में कहा कि कुल 97,597 करोड़ रुपये के जीएसटी संग्रह में से केंद्रीय जीएसटी का हिस्सा 19,183 करोड़ रुपये रहा। इसी तरह राज्य जीएसटी संग्रह 25,601 करोड़ रुपये रहा।

GST Collections in March Below Target at Rs 97,597 Crore | GST Collections: मोदी सरकार को झटका, मार्च में संग्रह घटा, 97,597 करोड़ रुपये रहा, फरवरी में 1.05 लाख Crore था

फरवरी में जीएसटी संग्रह 1.05 लाख करोड़ रुपये रहा था।

Highlightsएकीकृत जीएसटी संग्रह 44,508 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से 18,056 करोड़ रुपये आयात पर जुटाए गए। बयान के अनुसार 31 मार्च, 2020 तक कुल 76.5 लाख जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल किए गए।

नई दिल्लीःअर्थव्यवस्था में पहले से ही जारी नरमी के बीच कोरोना वायरस महामारी के कारण कंपनियों का परिचालन ठप होने से मार्च में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह पिछले चार महीने में पहली बार एक लाख करोड़ रुपये के स्तर से नीचे आ गया।

मार्च में जीएसटी से महज 97,597 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। यह मार्च 2019 के 1.06 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 8.4 प्रतिशत कम है। इससे पहले जीएसटी से फरवरी में 1.05 लाख करोड़ रुपये, जनवरी में 1.10 लाख करोड़ रुपये, दिसंबर में 1.03 लाख करोड़ रुपये और नवंबर में 1.03 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। मार्च महीने में 76.5 लाख जीएसटी रिटर्न दाखिल किये गये, जबकि फरवरी में 83 लाख रिटर्न दाखिल हुए थे। इससे पता चलता है कि मार्च में जीएसटी के अनुपालन में कमियां रही हैं।

वित्त मंत्रालय ने बुधवार को बयान में कहा, ‘‘मार्च 2020 के कुल 97,597 करोड़ रुपये के जीएसटी संग्रह में से केंद्रीय जीएसटी का हिस्सा 19,183 करोड़ रुपये रहा। इसी तरह राज्य जीएसटी संग्रह 25,601 करोड़ रुपये रहा। एकीकृत जीएसटी संग्रह 44,508 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से 18,056 करोड़ रुपये आयात पर लगे शुल्क से मिले।’’ सरकार ने नियमित निपटान के तहत एकीकृत जीएसटी से केंद्रीय जीएसटी को 19,718 करोड़ रुपये और राज्य जीएसटी के तहत 14,915 करोड़ रुपये जारी किये।

जीएसटी निपटान के बाद मार्च 2020 में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को क्रमश: 41,901 करोड़ रुपये और 43,516 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्त हुए। मंत्रालय ने कहा कि घरेलू लेनदेन से प्राप्त जीएसटी राजस्व में मार्च में चार प्रतिशत गिरावट आई है। इसमें यदि आयात माल पर लगे जीएसटी को भी शामिल कर लिया जाये तो मार्च 2020 में कुल राजस्व एक साल पहले इसी माह के मुकाबले आठ प्रतिशत कम हुआ है। आयात से प्राप्त जीएसटी राजस्व मार्च में 23 प्रतिशत तथा पूरे वित्त वर्ष में आठ प्रतिशत गिरा है।

वहीं समूचे वित्त वर्ष 2019- 20 में घरेलू लेनदेन से प्रापत जीएसटी पिछले साल के मुकाबले आठ प्रतिशत बढ़ा है। वहीं वर्ष के दौरान आयातित माल पर जीएसटी में इससे पिछले वर्ष के मुकाबले जहां आठ प्रतिशत की गिरावट रही वहीं कुल मिलाकर सकल जीएसटी राजस्व पिछले साल के मुकाबले चार प्रतिशत बढ़ा है। सरकार ने 2019- 20 के संशोधित अनुमानों में केन्द्रीय जीएसटी प्राप्ति 5.14 लाख करोड़ रुपये और क्षतिपूर्ति उपकर 98,327 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2018- 19 में केन्द्रीय जीएसटी प्राप्ति 4.57 लाख करोड़ रुपये और क्षतिपूर्ति उपकर से 95,080 करोड़ रुपये प्राप्त हुये।

नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने बुधवार को कहा कि भारत में कोरोना वायरस महामारी का असर काफी कम और काबू करने लायक होगा। उन्होंने कहा कि इसका कारण अन्य देशों के मुकाबले देश में ‘लॉकडाउन’ और यात्रा पाबंदी का निर्णय बहुत पहले ही ले लिया गया।

महामारी से निपटने के लिये जा रहे प्रयासों के समन्वय के लिये गठित समिति के अध्यक्ष पॉल ने कहा कि देश इससे निपटने के पूरी तरह से तैयार है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस समय यह बताना मुश्किल है कि स्थिति कबतक स्थिर होगी क्योंकि यह कई बातों पर निर्भर है। यह इस पर निर्भर करेगा कि हम जो भी कदम उठा रहे हैं, वे कितने प्रभावी होते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार देश में कोरोना वायरस संक्रमित मामलों की संख्या बुधवार को 1,637 पहुंच गयी जबकि 38 लोगों की मौत हो चुकी है। कुल संक्रमित मामलों में से 132 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि एक अन्य दूसरा देश चला गया है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि स्थिति अगर बदतर होती है तो यह महामारी देश के किसी भी हिस्से की आबादी के लिये विनाशकारी हो सकती है। पॉल ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘भारत ने अन्य देशों के मुकाबले कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिये काफी पहले कदम उठाया।

चाहे वह यात्रा पाबंदी हो या फिर एक-दूसरे से दूरी बनाये रखना...और भारत ने ‘लॉकडाउन’ का बड़ा निर्णय किया जिसे अन्य देशों ने लेने में लंबा समय लगाया और वे सही समय से चूके। इसीलिए मुझे भरोसा है कि महामारी का असर बहुत कम और काबू करने लायक होगा।’’

कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देश में 25 मार्च से 21 दिन का ‘लॉकडाउन’ है। इस देशव्यापी बंद के कारण एक बड़ा अंतर आएगा क्योंकि इससे वायरस फैलने की जो एक श्रृंखला है, वह टूटेगी और इसे उल्लेखनीय रूप से काबू में किया जा सकेगा। प्रवासी कामगारों के शहर छोड़कर अपने पैतृक गांव या शहर जाने से कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर पॉल ने कहा कि इस प्रकार की चीजों से ‘लॉकडाउन’ के कारण होने वाले लाभ में काई बड़ा अंतर नहीं आएगा।

देशव्यापी बंद के कारण हजारों प्रवासी कामगारों की आय पर असर पड़ा और वे अपने घरों को लौटने लगे। विभिन्न राज्य सरकारों ने इसे रोकने के लिये कदम उठाया और सुनिश्चित किया ऐसे लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी की जाए। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लाख प्रवासी कामगार अगर एक स्थान से दूसरे स्थान जा रहे हैं, इसकी तुलना दैनिक आधार पर जो करोड़ों लोग आ-जा रहे थे, उससे नहीं की जा सकती...हमें मानवीय मसलों का हल करना है लेकिन इतनी कम संख्या में लोगों की आवाजाही से ‘लॉकडाउन’ के कारण होने वाले व्यापक लाभ में काई बड़ा अंतर नहीं आएगा।’’ पॉल ने उदाहरण देते हुए कहा कि रोजाना एक करोड़ से अधिक लोग ट्रेनों में और करीब 4-5 करोड़ लोग बसों में यात्रा करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन से पहले यह स्थिति थी लेकिन अब यह सब बंद है....।’’ पॉल ने कहा, ‘‘स्थिति अगर बदतर होती है तो यह महामारी देश के किसी भी हिस्से की आबादी के लिये विनाशकारी हो सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम हर स्थिति के लिये पूरी तरह से तैयार हैं...हम यह सुनिश्चत करेंगे कि इससे कम-से-कम मानवीय नुकसान हो और देश की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा बोझ नहीं पड़े।’’ उनसे यह पूछा गया था कि क्या देश में सामुदायिक आधार पर संक्रमण की स्थिति उत्पन्न हुई है।

उल्लेखनीय है कि गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने पॉल की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय अधिकारियों का अधिकार प्राप्त समूह का गठन किया है। इस समूह का काम कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिये योजना बनाना और उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है। यह पूछे जाने पर कि स्थिति कबतक सामान्य होगी, पॉल ने कहा कि यह कई कारकों पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह इस बात पर निर्भर करेगा कि ‘लॉकडाउन’ कितना प्रभावी होता है। सामाजिक दूरी को लेकर जो उपाय किये जा रहे हैं, वे कितने प्रभावी है। और कितने बेहतर तरीके से हम अपने कुछ क्षेत्रों में फैले संक्रमण को रोकते हैं।’’

एक सवाल के जवाब में पॉल ने कहा कि सरकार डाक्टरों के लिये व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की उपलब्धता बढ़ाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘जल्दी ही इसके अपर्याप्त होने का कोई मुद्दा नहीं होगा। अभी भी हमारे पास जरूरत से ज्यादा पीपीई उपलब्ध है।’’ नीति आयोग के सदस्य ने कोरोना वायरा परीक्षण को लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की सराहना की। भाषा रमण मनोहर मनोहर

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