गवर्नर का बड़ा फैसलाः विधानसभा के प्रति जवाबदेह होगा J&K बैंक, महबूबा मुफ़्ती ने उठाया स्वायत्तता का सवाल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 24, 2018 02:41 PM2018-11-24T14:41:33+5:302018-11-24T14:41:33+5:30
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में गुरुवार की शाम राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) की बैठक हुई, जिसमें जम्मू-कश्मीर बैंक को सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) के तौर पर मान्यता देने के प्रस्ताव को पारित कर दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में गुरुवार की शाम राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) की बैठक हुई, जिसमें जम्मू-कश्मीर बैंक को सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) के तौर पर मान्यता देने के प्रस्ताव को पारित कर दिया गया है। एसएसी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी कि जम्मू-कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधान अब पीएसयू के तहत आने वाले अन्य बैंकों की तरह ही जम्मू-कश्मीर बैंक पर भी लागू होगा। इसके अलावा राज्य के अन्य पीएसयू बैंकों की तरह जम्मू और कश्मीर बैंक को भी राज्य विधानसभा के प्रति जवाबदेह होना पड़ेगा। आने वाले समय में यह बैंक केंद्रीय सतर्कता आयोग के दायरे में भी आ जायेगा।
अभी तक जम्मू और कश्मीर बैंक को प्राइवेट सेक्टर बैंक का दर्जा प्राप्त था, जो कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की देख-रेख में संचालित होता था। इसके अलावा, यह नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा पर्यवेक्षण के अधीन भी है।
राज्यपाल के इस फैसले के बाद राज्य में बयानबाजी तेज हो गई है। महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उमर ने कहा कि यह फैसला परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा, 'राज्यपाल जनता के चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं, इसलिए उन्हें इतने बड़े फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं है जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं'।
महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि हमारे संस्थानों से सभी अधिकार छिनने का एक परेशान करने वाला कदम है। इसी हस्तक्षेप को रोकने के लिए पीडीपी, कांग्रेस और एनसी साथ मिलकर सरकार बनाना चाह रहे थे। राज्यपाल जम्मू और कश्मीर के निजी संस्थानों की स्वायत्तता खत्म करना चाह रहे हैं।
जम्मू और कश्मीर बैंक में राज्य सरकार की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 59.3 प्रतिशत है। 2017-18 में बैंक का शुद्ध मुनाफा 440 करोड़ रहा।