NRC सूची से बाहर किए गए 19 लाख लोगों को हिरासत में नहीं लेगी सरकार, जानें उनके साथ क्या होगा?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 31, 2019 14:50 IST2019-08-31T14:50:31+5:302019-08-31T14:50:31+5:30

असम सरकार ने पहले कहा था जिन लोगों को एनआरसी सूची में शामिल नहीं किया गया उन्हें किसी भी स्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) उन्हें विदेशी ना घोषित कर दे।

Government will not take custody of 19 lakh people excluded from NRC list, know what will happen to them? | NRC सूची से बाहर किए गए 19 लाख लोगों को हिरासत में नहीं लेगी सरकार, जानें उनके साथ क्या होगा?

NRC सूची से बाहर किए गए 19 लाख लोगों को हिरासत में नहीं लेगी सरकार, जानें उनके साथ क्या होगा?

Highlightsएनआरसी सूची से असंतुष्ट लोग 120 दिन के भीतर विदेशी न्यायाधिकरण का रुख कर सकते हैं।गृह मंत्रालय के आदेश के तहत करीब 400 ट्राइब्यूनल्स का गठन एनआरसी के विवादों के निपटारे के लिए किया गया है।

असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची शनिवार को जारी कर दी गई। इसमें करीब 19.07 लाख आवेदकों को बाहर रखा गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि एनआरसी सूची से बाहर किए गए लोगों के साथ क्या होगा?

असम सरकार ने पहले कहा था जिन लोगों को एनआरसी सूची में शामिल नहीं किया गया उन्हें किसी भी स्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) उन्हें विदेशी ना घोषित कर दे। इस सूची से असंतुष्ट लोग 120 दिन के भीतर विदेशी न्यायाधिकरण का रुख कर सकते हैं।

विदेशी न्यायाधिकरण में अपील के लिए समयसीमा 60 से बढ़ाकर 120 दिन कर दी गई है। गृह मंत्रालय के आदेश के तहत करीब 400 ट्राइब्यूनल्स का गठन एनआरसी के विवादों के निपटारे के लिए किया गया है। राज्य सरकार ने यह साफ किया है कि फॉरेन ट्राइब्यूनल्स का फैसला आने तक एनआरसी लिस्ट से बाहर रहने वाले लोगों को किसी भी परिस्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा।

फॉरेन ट्राइब्यूनल  में भी कोई अपना केस हार जाता है तो फिर वह हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। इन सभी विकल्पों के आजमाने के बाद ही लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है।

ऐसे में सवाल उठता है कि अगर एनआरसी सूची से बाहर किए गए नागरिकों को हिरासत में नहीं लिया जाएगा तो इस लिस्ट के क्या मायने हैं? दरअसल, आधिकारिक रूप से वो नागरिक नहीं रहेंगे लेकिन उनके साथ क्या होगा इसका जवाब फिलहाल अभी नहीं है। जो किसी देश के नागरिक नहीं हैं उनके लिए भारत में कोई स्पष्ट पॉलिसी नहीं है। फिलहाल स्टेटलेस व्यक्ति को वोट देने का अधिकार नहीं है। फिलहाल उनके काम के अधिकार, घर और सरकारी स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं के बारे में स्पष्टता नहीं है।

एनआरसी के राज्य समन्वयक कार्यालय ने एक बयान में कहा कि 3,30,27,661 लोगों ने एनआरसी में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था। इनमे से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है। शामिल किए गए और बाहर किए गए नामों को लोग एनआरसी की वेबसाइट www.nrcassam.nic.in पर देख सकते हैं। एनआरसी मसौदे के हिस्से के तौर पर 31 दिसम्बर 2017 आधी रात को 1.9 करोड़ लोगों के नाम इसमें शामिल किए गए थे।

गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में एनआरसी के अंतिम मसौदा से 3,29,91,384 करोड़ लोगों में से 40,07,707 लोगों को बाहर कर दिया गया था। इसके बाद जून में 1,02,462 लोगों को बाहर कर दिया गया था। करीब 20वीं सदी की शुरुआत से ही बांग्लादेश से अवैध घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा असम अकेला राज्य है जहां पहली बार 1951 में राष्ट्रीय नागरिक पंजी तैयार किया गया था। तब से ऐसा पहली बार है जब एनआरसी का अद्यतन किया गया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर

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