गृह मंत्रालय द्वारा सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस लिये जाने के फैसले को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया है. पार्टी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने संकेत दिये है कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस अदालत से लेकर जनआंदोलन चलाने तक के विकल्पों पर विचार कर रही है.
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार कांग्रेस के खिलाफ एक के बाद एक कदम उठा रही है जिससे साफ है कि वह प्रतिशोध की राजनीति से प्रभावित है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने टिप्पणी की कि यह अंतोगत्वा साबित हो गया कि यह व्यक्तिगत द्वेष के लिए उठाया गया कदम है. एक ऐसे परिवार की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है जिसने देश के दो प्रधानमंत्री आतंक की हिंसा में खो दिये.
कांग्रेस ने सवाल उठाया कि एसपीजी जब गृह मंत्रालय के अधीन नहीं है तो गृह मंत्रालय कैसे फैसले ले रहा है. पार्टी ने आज एसपीजी के उस पत्र को जारी किया जो कैबिनेट सचिवालय को लिखा गया. इस पत्र में एसपीजी ने साफ तौर पर लिखा है कि राहुल गांधी को इस्लामिक संगठनों,नक्सली संगठनों, खालिस्तानी संगठनों और आतंक़वादियों से जान का गंभीर खतरा है. 26 अगस्त 2019 के इस पत्र के बाद एसपीजी सुरक्षा का वापस लिया जाना यह साफ कर रहा है कि यह फैसला प्रतिशोध की राजनीति से लिया गया है.
कांग्रेस ने जस्टिस जे.एस. वर्मा की वह रिपोर्ट भी जारी की जो राजीव गांधी के हत्या के बाद तैयार की गयी थी जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि राजीव गांधी की सुरक्षा हटाने का फैसला उनकी सुरक्षा में बड़ी चूक था. जहां तक राहुल गांधी के सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप भाजपा लगा रही है रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि प्रधानमंत्री मोदी फोटोशूट कराते समय एसपीजी को हटाकर क्या एसपीजी की ब्लू बुक का उल्लंघन नहीं करते, क्या इस आधार पर उनकी सुरक्षा व्यवस्था वापस कर ली जाएगी.
कांग्रेस के इन तीखे सवालों के जवाब में भाजपा ने साफ किया कि वह कांग्रेस के इन तर्को से सहमत नहीं है, उसकी दलील है कि किस को क्या सुरक्षा व्यवस्था देनी है यह फैसला एक कमेटी करती है और वह इस बात का आंकलन करती है कि वीआईपी की सुरक्षा को किस स्तर का खतरा है उसी के आधार पर सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है.
उल्लेखनीय है कि मोदी के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की सुरक्षा व्यवस्था को क्रमबद्ध तरीके से हटाने अथवा कमजोर करने का काम हो रहा है.
28 साल तक लगातार एसपीजी सुरक्षा के घेरे में रहने के बाद अब यह परिवार जेड प्लस सुरक्षा के दायरे में होगा. दरअसल 1991 में एसपीजी एक्ट में संशोधन कर एसपीजी सुरक्षा इस परिवार को उपलब्ध कराई गयी थी. कांग्रेस इस संशोधन का जिक्र कर सरकार से पूछ रही है कि संसद के एसपीजी एक्ट को बदलने का अधिकार बिना संसद की मंजूरी के आखिर किसने इस सरकार को दिया.