किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करने वाली सरकार खुद संशय में, 2022 तक संभव नहीं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 27, 2019 09:29 IST2019-07-27T09:29:19+5:302019-07-27T09:29:19+5:30
सपा के रामगोपाल यादव ने पूछा था कि कृषि में शामिल मत्स्य पालन, डेयरी उत्पादन, वानिकी और खेती पर आधारित मौजूदा लगभग चार प्रतिशत कृषि विकास दर पर क्या 2022 तक किसानों की आय दो गुनी हो जाएगी?

प्रतीकात्मक फोटो
सरकार ने इस बात में संदेह व्यक्त किया है कि मौजूदा चार प्रतिशत कृषि विकास दर पर 2022 तक किसानों की आय दोगुना हो जाएगी. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने राज्यसभा में कहा, ''मैं इस बात से सहमत हूं कि इसी ग्रोथ रेट (विकास दर) के साथ किसानों की आय दो गुनी हो जाएगी, हम भी इस बात को नहीं मानते हैं.''
सपा के रामगोपाल यादव ने पूछा था कि कृषि में शामिल मत्स्य पालन, डेयरी उत्पादन, वानिकी और खेती पर आधारित मौजूदा लगभग चार प्रतिशत कृषि विकास दर पर क्या 2022 तक किसानों की आय दो गुनी हो जाएगी?
यादव ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक कृषि में शामिल इन चार मुख्य कार्यों पर आधारित कृषि विकास दर लगभग चार प्रतिशत है जबकि विशुद्ध खेती पर अधारित कृषि विकास दर दो प्रतिशत से भी कम है.
इसके जवाब में रूपाला ने कहा कि किसानों की आय दोगुना करने के लिए सरकार ने कृषि कार्य में पशु पालन, मधुमक्खी एवं मत्स्य पालन, बागवानी, वानिकीकरण आदि कामों को शामिल करते हुए इसमें किसान सम्मान योजना सहित अन्य कृषि कल्याण योजनाओं के सामूहिक लाभ से किसानों की आय दोगुना करने की कार्ययोजना लागू की है.
उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़े अन्य पहलुओं को शामिल किए बिना मौजूदा कृषि विकास दर पर 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी, वह ऐसा नहीं मानते हैं. एक अन्य सवाल के जवाब में रूपाला ने स्पष्ट किया कि किसान सम्मान योजना में फिलहाल वे किसान ही शामिल हैं जिनके पास जमीन का मालिकाना हक है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि जो किसान किराये पर खेती करते हैं, कृषि मजदूर हैं या किसी अन्य रूप में खेती करते हैं, वे इसी तरह की योजना 'श्रमयोगी योजना' के तहत पेंशन सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.
720 करोड़ की केंद्रीय सहायता जैविक कृषि को बढ़ावा देने से जुड़े एक सवाल के जवाब में रूपाला ने बताया कि सरकार ने जैविक खाद के उत्पादन के प्रोत्साहन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से देश में 20 केंद्र चल रहे हैं. प्रत्येक केंद्र में किसानों के साथ मिलकर एक लाख क्लस्टर बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. रासायनिक खाद को दी जाने वाली सब्सिडी की तर्ज पर जैविक खाद के लिए भी निजी क्षेत्र द्वारा संचालित 61 परियोजनाओं को 720 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता दी गई है.