अनिवार्य एफआईआर नीति के अच्छे परिणाम : गहलोत

By भाषा | Published: November 9, 2020 08:11 PM2020-11-09T20:11:11+5:302020-11-09T20:11:11+5:30

Good results of compulsory FIR policy: Gehlot | अनिवार्य एफआईआर नीति के अच्छे परिणाम : गहलोत

अनिवार्य एफआईआर नीति के अच्छे परिणाम : गहलोत

जयपुर, नौ नवम्बर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि थानों में हर फरियादी की सुनवाई सुनिश्चित करने तथा आमजन में पुलिस के प्रति विश्वास कायम करने की दिशा में राजस्थान ने जो नवाचार किए हैं, उनके अच्छे परिणाम आए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने थानों में हर फरियादी की प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अनिवार्य पंजीकरण नीति अपनाने का साहस दिखाया है। इससे परिवादों के पंजीकरण में भले ही बढ़ोतरी हुई हो लेकिन इसका अभिप्राय यह कतई नहीं है कि वास्तविक रूप में अपराध भी बढ़े हों।

गहलोत सोमवार को ‘महिला व बाल सुरक्षा तथा सशक्तिकरण के लिए कर्तव्य व अधिकार' विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी राज्यों में इस नीति को लागू करने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस संबंध में वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र लिखेंगे। उन्होंने कहा कि हर पीड़ित को न्याय दिलाने की राजस्थान की अनिवार्य एफआईआर नीति अपनाने के लिए देशव्यापी वातावरण बने, इसके लिए राजस्थान राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी आयोजित करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा, “महिला व बाल अधिकारों की सुरक्षा पूरे देश के लिए अत्यन्त संवेदनशील मुद्दा है। खासकर महिला उत्पीड़न की घटनाएं हम सभी के लिए चिंता का विषय है। हमारी सरकार ने ऐसी घटनाओं पर हमेशा तत्परता से जमीनी स्तर तक प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की है। अलवर के थानागाजी प्रकरण में पुलिस ने जिस तरह अपनी पेशेवराना रुख से अपराधियों को सजा दिलाने में कामयाबी पाई और पीड़िता को समय पर न्याय दिलाया, दुष्कर्म के अन्य मामलों में यह प्रकरण राज्य पुलिस के लिए जांच का मॉडल बने।”

गहलोत ने कहा कि अनिवार्य एफआईआर की नीति, सभी पुलिस जिलों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए विशेष जांच इकाई के गठन, थानों में स्वागत कक्ष के निर्माण तथा उच्च स्तर से लगातार निगरानी जैसे कदमों के कारण राज्य में पीड़ित महिलाओं को शीघ्र न्याय मिलने में मदद मिली है।

उन्होंने कहा, “महिलाएं अपने खिलाफ होने वाले अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए बेहिचक थाने पहुंचने लगी हैं, दुष्कर्म जैसे मामलों की जांच में लगने वाले औसत समय में 40 प्रतिशत तक की उल्लेखनीय कमी आई है। यह समय 267 दिनों से घटकर 118 दिन हो गया है। अदालतों के माध्यम से दर्ज होने वाले प्रकरणों की संख्या भी 34 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत रह गई है। साथ ही प्रदेश में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों की लंबित जांचों का प्रतिशत भी राष्ट्रीय औसत 34 प्रतिशत के मुकाबले नौ प्रतिशत ही है।

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Web Title: Good results of compulsory FIR policy: Gehlot

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