राज्यों को ओबीसी सूची तैयार करने की शक्ति देना पर्याप्त नहीं;50 फीसदी कोटा की सीमा हटे:अशोक चव्हाण

By भाषा | Updated: August 4, 2021 22:47 IST2021-08-04T22:47:53+5:302021-08-04T22:47:53+5:30

Giving power to states to prepare OBC list is not enough; 50% quota limit removed: Ashok Chavan | राज्यों को ओबीसी सूची तैयार करने की शक्ति देना पर्याप्त नहीं;50 फीसदी कोटा की सीमा हटे:अशोक चव्हाण

राज्यों को ओबीसी सूची तैयार करने की शक्ति देना पर्याप्त नहीं;50 फीसदी कोटा की सीमा हटे:अशोक चव्हाण

मुंबई, चार अगस्त महाराष्ट्र के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री अशोक चव्हाण ने बुधवार को कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी खुद की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची बनाने की शक्ति देना मराठा कोटा बहाल करने का मार्ग प्रशस्त नहीं करेगा।

साथ ही, उन्होंने कहा कि मराठा कोटा को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया है, लेकिन केंद्र को आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाना चाहिए।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी खुद की सूची बनाने की शक्ति देने वाले एक संविधान संशोधन विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी मिलने की खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चव्हाण ने यह कहा।

सूत्रों ने दिल्ली में कहा कि यह विधेयक अब पारित किये जाने के लिए संसद में पेश किया जाएगा।

महाराष्ट्र सरकार ने सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय के लोगों को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दिया था।

हालांकि, पांच मई को न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आम सहमति से मराठों के लिए कोटा को रद्द कर दिया था और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा लगाने वाले मंडल मामले से जुड़े फैसले को बड़ी पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया था।

मराठा कोटा पर महाराष्ट्र मंत्रिमंडल उप समिति के प्रमुख ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एसईबीसी कोटा रद्द करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि 102 वें संविधान संशोधन के बाद राज्यों के पास एसईबीसी घोषित करने की शक्तियों का अभाव है और इस कारण मराठा कोटा 50 प्रतिशत की सीमा को पार करते हुए नहीं दिया जा सकता। ’’

वर्ष 2018 के इस संविधान संशोधन के जरिए संविधान में अनुच्छेद 338 बी शामिल किया गया, जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की संरचना, कर्तव्य और शक्तियों का प्रावधान करता है, जबकि अनुच्छेद 342 ए किसी खास जाति को एसईबीसी अधिसूचित करने की राष्ट्रपति को शक्ति देता है और संसद को सूची में बदलाव करने की शक्ति देता है।

उन्होंने कहा कि वक्त की दरकार है कि इन अड़चनों को दूर किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘मराठा कोटा राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है। गतिरोध को राज्य और केंद्र सरकार के बीच आम सहमति और समन्वय से दूर किया जा सकता है।’’

चव्हाण ने यह मांग की कि भारतीय जनता पार्टी अपने नेतृत्व को मौजूदा संसद सत्र के दौरान 50 प्रतिशत कोटा की सीमा में ढील देने के लिए मनाए और महाविकास आघाड़ी सरकार की कोशिशों में मदद करे।

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