बिहार में आरएसएस सहित 19 हिंदूवादी संगठनों और उनके सदस्यों से संबंधित सूचनाएं एकत्रित करने के लिए बिहार विशेष शाखा की चिट्ठी पर सियासी घमासान मचा हुआ है. इस मामले में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधा है और कहा है कि इस मामले में सुशील मोदी से सवाल पूछा जाना चाहिए और मुख्यमंत्री बताएं कि उनकी इजाजत के बिना इतना बड़ा निर्णय कैसे लिया गया?
गिरिराज सिंह ने आरएसएस की जासूसी मामले पर कहा कि यह किसी को समझ में ही नहीं आया कि जांच कराने के आदेश देने के पीछे क्या कारण था? बिहार में जदयू-भाजपा के साथ सरकार में है और संघ हमारा मातृ संगठन है और ऐसे में जबकि सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री हैं तो उनसे पूछा जाना चाहिए कि ऐसा क्यों किया गया? इसके पीछे मंशा क्या थी और छानबीन करने की जरूरत क्यों पड़ी?
इसके साथ ही गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीधा सवाल किया कि इतना बड़ा निर्णय बिना आपकी इजाजत के कैसे संभव हुआ? ये तो जांच का विषय है. उन्होंने कहा कि जो घटना घटी वह काफी आपत्तिजनक थी. इस घटना से लोगों में इतना आक्रोश है कि लोग अब पूछ रहे हैं कि हम सरकार में हैं या सरकार से बाहर?
उन्होंने कहा कि किसी भी गठबंधन में सरकार को अपने ढंग से चलाना होता है. लेकिन जब ऐसी घटनाएं आती है तो पूरा परिवार प्रतिकार करता है. आज इस घटना पर सभी कार्यकर्ताओं ने प्रतिकार किया है. गिरिराज सिंह ने संघ परिवार से भाजपा के रिश्ते पर कहा कि संघ हमारा मातृ संगठन है और जिसका चरित्र पारदर्शी है. संघ के ऊपर इस तरह से नाजायज तरीके से जांच कराने का आदेश उचित नहीं था. इस दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर एक बार अटलबिहारी वाजपेयीजी ने इस्तीफा दे दिया था. हम संघ के सवाल पर कोई समझौता नहीं कर सकते हैं.
वहीं, गिरिराज सिंह के इस बयान पर भाजपा नेता दिलीप सिंह ने ही नाराजगी जतायी है और कहा है कि इस बयान से गिरिराज राज सिंह अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं. अगर उन्हें कुछ दिक्कत हो तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या अमित शाह से मिल लें. बिहार में एनडीए का गठबंधन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुआ है.
यहां उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके 18 सहयोगी संगठनों के बिहार के पदाधिकारियों के बारे में स्पेशल ब्रांच द्वारा पूरी जानकारी मंगाने के मसले पर मचे राजनीतिक बवाल के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और डीजीपी, गृह सचिव, एडीजी (सीआईडी) को तलब किया था.
मुख्यमंत्री ने अफसरों से इस बारे में पूरी जानकारी ली और उन्हें मामले पर समुचित कार्रवाई करने को कहा है. उधर, भाजपा और आरएसएस नेता इस मामले को लेकर खासा नाराज हैं और उन्होंने इसपर अपनी ही सरकार यानि नीतीश सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही इन नेताओं ने इस प्रकरण के जिम्मेदार पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही है.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह नीतीश कुमार के आदेश से जारी किया गया था, क्योंकि गृह विभाग उनके जिम्मे है. हालांकि, विशेष शाखा के एडीजी जेएस गंगवार ने सफाई देते हुए कहा था कि इस मामले में पुलिस मुख्यालय, गृह विभाग और सरकार की न तो कोई भूमिका है न कोई आदेश-निर्देश दिया गया था.