गो-सेवा के लिए जर्मनी की फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग को मिला पहला स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 31, 2019 15:23 IST2019-10-31T15:21:13+5:302019-10-31T15:23:26+5:30
गोवा सेवा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करने के लिए सुदेवी दासी को स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार के लिए चुना गया है। सुदेवी दासी मूल रूप से जर्मनी के बर्लिन शहर की रहने वाली हैं और इनका असली नाम फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग है।

गो-सेवा के लिए जर्मनी की फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग को मिला पहला स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार
गोवा सेवा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करने के लिए सुदेवी दासी को स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार के लिए चुना गया है। सुदेवी दासी मूल रूप से जर्मनी के बर्लिन शहर की रहने वाली हैं और इनका असली नाम फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग है। वह बीते 25 वर्षों से गो-सेवा कर रही हैं। वर्तमान में ये मथुरा में रहकर हज़ारों गो-धन के सेवा-कार्य में लगी हैं। इन्हें बीते वर्ष भारत सरकार की ओर से देश के चौथे सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार पूर्व सांसद स्वामी ब्रह्मानंद के नाम पर इस साल उनकी 125वीं जयंती-वर्ष से शुरू किया जा रहा है। यह गो-सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले भारतीय और गैर-भारतीय नागरिकों को प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जायेगा। इस प्रकार, सुदेवी दासी को पहला स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार दिया जा रहा है। इस पुरस्कार के तहत 10 हजार रुपये, कांस्य धातु का पदक, स्टेच्यू, सनद और अंगवस्त्र प्रदान किया जायेगा।
फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग का जन्म 02 मार्च, 1958 को जर्मनी के बर्लिन शहर में हुआ था। साल 1978 में पर्यटन के उद्देश्य से भारत आयी और फिर यहीं की होकर रह गईं। बीते 41 सालों से यहाँ रहकर फ़्रेडरिक भारतीय अस्मिता को आत्मसात कर रही हैं और पिछले 25 सालों से अनवरत गायों की देखभाल और उनकी सेवा के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं। इनके ऐसे प्रेरणादायी कार्य के लिए लोग इन्हें ‘बछड़ों की माँ’ कहते हैं और ये ब्रज समेत पूरे भारतवर्ष में ‘सुदेवी दासी’ या ‘सुदेवी माता’ के नाम से पुकारी जाती हैं।