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बिछड़ा परिवार तलाशने हफ्ते भर के सफर पर रवाना होगी पाकिस्तान से लौटी गीता

By भाषा | Updated: November 26, 2020 16:03 IST

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इंदौर (मध्य प्रदेश), 26 नवंबर बहुचर्चित घटनाक्रम में पाकिस्तान से पांच साल पहले भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता अपने बिछड़े परिवार की तलाश के लिए महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल और इससे सटे तेलंगाना के इलाकों की यात्रा पर जाने वाली है। उसका यह हफ्ते भर लंबा सफर दो दिसंबर से शुरू होना है।

राज्य के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि दिव्यांगों की मदद के लिए चलाई जा रही आनंद सर्विस सोसाइटी शहर में गीता की देख-रेख कर रही है। इस गैर सरकारी संगठन को उसके माता-पिता की खोज का जिम्मा भी सौंपा गया है।

संगठन के संचालक और सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित ने पीटीआई-भाषा से कहा, "इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान हमें संकेत मिले हैं कि गीता का मूल निवास स्थान महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल और इससे सटे तेलंगाना में हो सकता है जहां वह करीब दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़ गई थी। इन संकेतों की कड़ियां जोड़ते हुए गीता के परिवार की खोज के लिए हम उसके साथ दो दिसंबर को रवाना होंगे।"

उन्होंने कहा, "हम गीता को सबसे पहले मराठवाड़ा के नांदेड़, परभणी और जालना जिलों के उन स्थानों पर ले जाएंगे जो रेलवे स्टेशनों के आस-पास स्थित हैं। बचपन की धुंधली यादों के आधार पर उसका कहना है कि उसके गांव के पास एक रेलवे स्टेशन था और गांव में नदी के तट के पास देवी का मंदिर था।"

पुरोहित ने बताया कि गीता को मराठवाड़ा से सटे तेलंगाना के इलाकों में भी ले जाया जाएगा। उसकी हफ्ते भर की यात्रा रेल और सड़क मार्ग से संपन्न होगी। इस दौरान मध्य प्रदेश की महिला पुलिस का दल उसके साथ रहेगा और रास्ते में स्थानीय पुलिस की मदद भी ली जाएगी।

उन्होंने बताया कि गुजरे पांच साल में देश के अलग-अलग इलाकों के करीब 20 परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं। लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर लड़की पर दावा साबित नहीं हो सका है।

अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल गीता की उम्र 30 साल के आस-पास आंकी जाती है। वह बचपन में गलती से रेल में सवार होकर सीमा लांघने के कारण करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी। पाकिस्तानी रेंजर्स ने गीता को लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था।

तत्कालीन विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण वह 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौट सकी थी। इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में एक गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर भेज दिया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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