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Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड चुनाव में ये सीट है खास, जो पार्टी यहां से जीती, राज्य में सरकार बनी, जानें रोचक तथ्य

By भाषा | Updated: January 30, 2022 17:01 IST

Uttarakhand Election 2022: 14 फरवरी को होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले गंगोत्री सीट से जुड़ा यह मिथक एक बार फिर लोगों के बीच चर्चा में है।

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ठळक मुद्देभाजपा त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में सत्ता पर काबिज हुई।पिछली विधानसभा चुनावों के आंकड़े भी गंगोत्री के मिथक की पुष्टि करते हैं।वर्ष 2007 में भाजपा के प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत को विजय मिली।

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड में एक चुनावी मिथक है कि गंगा नदी के उदगम की तरह प्रदेश में सरकार बनने की राह भी गंगोत्री से ही निकलती है।

वर्ष 2017 में मतगणना के दौरान राजनीतिक दलों से लेकर आम जनता की दिलचस्पी गंगोत्री सीट का परिणाम जानने में अधिक थी और भाजपा प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत के जीतने की सूचना मिलने पर माना गया कि अब भाजपा की सरकार बन गई। बाद में यह सच भी साबित हुआ जब 70 में से 57 सीटें जीतकर एक बड़े जनादेश के साथ भाजपा त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में सत्ता पर काबिज हुई।

अब 14 फरवरी को होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले गंगोत्री सीट से जुड़ा यह मिथक एक बार फिर लोगों के बीच चर्चा में है, जहां भाजपा के सुरेश चौहान कांग्रेस के विजयपाल सिंह सजवाण से दो-दो हाथ कर रहे हैं। उत्तरकाशी की गंगोत्री सीट से भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत का पिछले साल लंबी बीमारी से निधन हो गया था और उसके बाद से यह सीट खाली पड़ी थी, जहां अब चौहान को मौका दिया गया है। चौहान ने भरोसा जताया कि पिछली बार की तरह जनता इस बार भी भाजपा को ही अपना आशीर्वाद देगी और न केवल गंगोत्री बल्कि प्रदेश में भी पार्टी ही ​जीत का परचम लहराएगी।

गंगोत्री सीट से विजय दर्ज करने के लिए प्रत्याशी के अलावा उनकी पार्टियां भी पूरे दमखम से प्रचार में लगी हैं और वे यहां चूक का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहतीं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी शनिवार को उत्तरकाशी का दौरा कर लोगों से पार्टी के लिए वोट मांगे। दूसरी तरफ, सजवाण भी अपने चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं और उनकी पार्टी के नेता भी उनकी विजय सुनिश्चित करने के लिए कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे हैं। सजवाण ने कहा, ‘‘हम गंगोत्री चुनाव जीतेंगे और कांग्रेस की सरकार बनाएंगे ।’’

पिछली विधानसभा चुनावों के आंकड़े भी गंगोत्री के मिथक की पुष्टि करते हैं। वर्ष 2002 में हुए प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सजवाण जीते और नारायणदत्त तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। वर्ष 2007 में भाजपा के प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत को विजय मिली और मेजर जनरल भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में भाजपा सत्तारूढ हुई। वर्ष 2012 में एक बार फिर सजवाण के सिर पर जीत का सेहरा बंधा और विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस सत्तासीन हुई।

अगले चुनाव में 2017 में रावत जीते और त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार बनी। हालांकि, इस बार कांग्रेस और भाजपा के साथ ही गंगोत्री से किस्मत आजमा रहे आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार कर्नल अजय कोठियाल ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है और राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि अब यह मिथक टूट भी सकता है।

राजनीतिक प्रेक्षक प्रोफेसर हर्षपति डोभाल ने कहा कि ऐसी मिथकें चुनावी राजनीति में सुनने में आती हैं और लोगों को आकर्षित भी करती हैं, लेकिन इसके बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। गंगोत्री की तरह चमोली जिले की बदरीनाथ सीट और नैनीताल जिले की रामनगर सीट भी एक चुनावी मिथक बन गई है कि यहां से जिस पार्टी का उम्मीदवार जीता, सरकार उसी की बनी।

वर्ष 2002 और 2012 में क्रमश: कांग्रेस के अनुसूया प्रसाद मैखुरी और राजेंद्र भंडारी जीते तो सरकार उन्हीं की पार्टी की बनी जबकि वर्ष 2007 और 2017 में क्रमश: भाजपा के केदार सिंह फोनिया और महेंद्र भटट जीते तो भाजपा सत्तासीन हुई। ठीक यही परिणाम रामनगर सीट के भी सामने आए हैं। वर्ष 2002 और 2012 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के योगंबर सिंह रावत और अमृता रावत जीते और उनकी पार्टी को सत्ता मिली, जबकि 2007 और 2017 में भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट को विजय मिली और उनकी पार्टी सत्तारूढ़ हुई। 

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