कानपुर में गंगा के अटल घाट की जिन सीढ़ियों पर फिसले थे पीएम मोदी, उनको तोड़कर दोबारा बनाएगा प्रशासन
By रामदीप मिश्रा | Updated: December 18, 2019 13:56 IST2019-12-18T13:55:41+5:302019-12-18T13:56:22+5:30
कानपुर गंगा घाटः खंडीय आयुक्त सुधीर एम. बोबडे का कहना है कि अटल घाट पर सिर्फ एक सीढ़ी की ऊंचाई असमान है, जिसे तोड़ा जाएगा और दोबारा से इसका निर्माण होगा।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को कानपुर में अटल घाट की जिन सीढ़ियों पर फिसल कर गिर गए थे, उन सीढ़ियों को को दोबारा बनाया जाएगा। इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है कि ये सीढ़ियां आसमान छू रही हैं, जिसकी वजह से आए दिन लोग गिर जाते हैं और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है।
आईएएनएस समाचार एजेंसी के अनुसार, खंडीय आयुक्त सुधीर एम. बोबडे का कहना है कि अटल घाट पर सिर्फ एक सीढ़ी की ऊंचाई असमान है, जिसे तोड़ा जाएगा और दोबारा से इसका निर्माण होगा। साथ ही साथ इस सीढ़ी की ऊंचाई अन्य सीढ़ियों के अनुसार रखी जाएगी। उनका कहना है कि इस सीढ़ी पर कई लोग गिर चुके हैं इसलिए इसे जल्द से जल्द बनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 दिसंबर को अटल घाट पहुंचकर स्टीमर के जरिए गंगा की सफाई का निरीक्षण किया था। प्रधानमंत्री अटल घाट पहुंचे थे और मां गंगा को नमन किया था। इसके बाद बोट में सवार होकर गंगा में यात्रा शुरू करके अविरलता और निर्मलता का जायजा लिया था। गंगा बैराज की सीढ़ियों पर चढ़ते समय प्रधानमंत्री मोदी अचानक फिसल गए थे और उन्हें एसपीजी के जवानों ने संभाला था।
यहां राष्ट्रीय गंगा परिषद् की पहली बैठक में मोदी ने कानपुर शहर में 'नमामि गंगे' की परियोजनाओं का हाल और उसमें गिर रहे नालों का जायजा लिया था। उन्होंने कहा था कि मां गंगा उपमहाद्वीप की सबसे पवित्र नदी है और इसके कायाकल्प को सहयोगात्मक संघवाद के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा था कि गंगा का कायाकल्प देश के लिए दीर्घकाल से लंबित चुनौती है। सरकार ने 2014 में 'नमामि गंगे' का शुभारंभ करने के बात इस दिशा में बहुत कुछ किया है, जो प्रदूषण उन्मूलन, गंगा का संरक्षण और कायाकल्प, कागज मीलों से रद्दी को पूर्ण रूप से समाप्त करने और चमड़े के कारखानों से होने वाले प्रदूषण में कमी जैसी उपलब्धियों को प्राप्त करने के उद्देश्य के साथ विभिन्न सरकारी प्रयासों और गतिविधियों को एकीकृत करने की एक व्यापक पहल के रूप में परिलक्षित है, लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना शेष है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने गंगा नदी में पर्याप्त जल के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए 2015-20 की अवधि हेतु 20,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। नवीन अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों के निर्माण के लिए अब तक 7700 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं।